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बिहार के बेतिया में दिखा हाईटेक भिखारी, गले में चेन और हाथ में 25000 की टैब लेकर चलता है यह डिजिटल भिखारी, 50 रुपए से कम लेना मंजूर नहीं, देखें तस्वीरें

शहनवाज -क्या आपने कभी ऐसे भिखारी को देखा है, जो हाथ में महंगा टैब और गले में क्यूआर कोड लेकर घूमता हो, और स्टेशन पर आने-जाने वाले यात्रियों के छुट्टे की समस्या को ऑनलाइन पेमेंट लेकर दूर करता हो? अगर नहीं, तो आज हम आपको एक ऐसे भिखारी से मिलाएंगे, जिसके हाथ में 25 हजार का टैब और पॉकेट में दस से पंद्रह हजार रुपए रहते हैं, इसके बावजूद वह भीख मांगता है, वो भी ऑनलाइन.

दरअसल, बेतिया रेलवे स्टेशन पर बेहद छोटी सी उम्र से रहकर भीख मांगने वाले राजू एक ऐसे भिखारी हैं, जो अपने पास 25000 का टैब रखते हैं. साथ ही क्यूआर कोड से स्कैन करवाकर डिजिटल तरीके से पैसा लेते हैं. आश्चर्य की बात ये है कि महज तीसरी कक्षा तक पढ़े राजू आसानी से टैब हैंडल कर लेते हैं. भीख में कम से कम 50 रुपए लेते हैं

 हमने राजू से पूछा कि लॉकडाउन में जब पूरी दुनिया घर के अंदर दुबकने को मजबूर हो गई थी, तब आपने कैसे गुजारा किया. तब उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में उसने खुद को गेरुवा वस्त्रधारी साधु में परिवर्तित कर लिया था और स्टेशन का आश्रय छोड़ बिना किसी रोक टोक के शहर में ही भटकता रहा.

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हमने राजू से पूछा कि लॉकडाउन में जब पूरी दुनिया घर के अंदर दुबकने को मजबूर हो गई थी, तब आपने कैसे गुजारा किया. तब उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में उसने खुद को गेरुवा वस्त्रधारी साधु में परिवर्तित कर लिया था और स्टेशन का आश्रय छोड़ बिना किसी रोक टोक के शहर में ही भटकता रहा.
 राजू, बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव को अपना पिता बताते हैं. जबकि बेतियावासी भी उसे मजाक में लालू का बेटा ही कहते हैं. जब लालू यादव रेलमंत्री थे, तब उनके बेतिया दौरे के दौरान राजू ने उनसे मुलाकात की और उन्हें पापाजी कहकर बुलाया था. राजू ने लालू यादव से अपने खर्चे की बात भी कही थी. जिसके बाद उन्होंने राजू के लिए पूरे बिहार में रेलवे की यात्रा मुफ्त कराई थी, साथ ही उसके खाने-पीने की मुफ्त व्यवस्था भी की थी.राजू, बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव को अपना पिता बताते हैं. जबकि बेतियावासी भी उसे मजाक में लालू का बेटा ही कहते हैं. जब लालू यादव रेलमंत्री थे, तब उनके बेतिया दौरे के दौरान राजू ने उनसे मुलाकात की और उन्हें पापाजी कहकर बुलाया था. राजू ने लालू यादव से अपने खर्चे की बात भी कही थी. जिसके बाद उन्होंने राजू के लिए पूरे बिहार में रेलवे की यात्रा मुफ्त कराई थी, साथ ही उसके खाने-पीने की मुफ्त व्यवस्था भी की थी.

बकौल राजू, पब्लिक द्वारा दिए गए पैसे को इकट्ठा कर उससे सैमसंग का टैब लिया. साथ ही स्टेशन पर मौजूद दुकानों में क्यूआर कोड वाले स्कैनरों को देखकर डिजिटल ट्रांजेक्शन की सीख मिली. स्‍थानीय दुकानदारों ने राजू का एक अकाउंट बनाकर उसे क्यूआर कोड वाला स्कैनर दिलवाया.

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