लखनऊ. साल के शुरुआत में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा को करारी हार का सामना करना पड़ा. मगर, नगर निकाय चुनाव में वह नई तैयारियों के साथ हाथ आजमाएगी. इसको लेकर बसपा प्रमुख मायवती ने पार्टी की सदस्यता अभियान को एक महीने और बढ़ा दिया है, ताकि अधिक से अधिक सदस्यों को पार्टी से जोड़ा जा सके. अधिक संख्या में सदस्य बनने का लाभ निकाय चुनाव में प्रत्याशियों को दिलाया जा सके.
बसपा के जोन प्रभारी अखिलेश अंबेडकर ने कहा कि बसपा पूरी तैयारी के साथ निकाय चुनाव लड़ेगी. इसके लिए तैयारियां जारी हैं. जिला कमेटी के पास दावेदारों के बायोडाटा जमा होने लगे हैं. इन बायोडाटा को पहले जिला कमेटी स्क्रीनिंग कर जोनल कमेटी के पास भेजेगी. वहीं जोनल कमेटी टॉप थ्री दावेदारों के नाम बसपा प्रमुख मायावती के पास भेजेगी. बसपा सुप्रीमो जिताऊ कैंडिडेट का टिकट फाइनल कर मैदान में उतारेंगी.
दो सीटों पर जमाया था कब्जा
बसपा ने 2017 में भी नगर निकाय चुनाव लड़ा था, इसमें पार्टी ने 2 मेयर सीटों पर कब्जा जमाया था. वहीं सवा सौ से अधिक पार्षद सीटों पर पार्टी के कैंडिडेट ने जीत हासिल की थी. मगर, हाल में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा. बसपा 403 विधान सभा सीटों पर सिर्फ एक ही सीट पर जीत हासिल कर सकी. ऐसे में देखना होगा कि नवम्बर-दिसम्बर में होने वाले नगर निकाय चुनाव में हाथी की क्या चाल रहेगी?
जब चुनाव में काम न आई यह नीति
यूपी में विधानसभा की 403 सीटें हैं. यहां भाजपा और सपा अन्य दलों के साथ गठबंधन करके मैदान में उतरी। वहीं, बसपा अकेले दम पर 403 सीटों पर चुनाव लड़ा. इसमें सामाजिक-जातीय समीकरण साधकर बसपा ने टिकट बांटे. इस दौरान दूसरे दलों से आए प्रभावशाली नेताओं को भी टिकट दिए. ऐसे में 25 के करीब टिकट लिस्ट जारी होने के बाद बदलने पड़े. वहीं, कुल 69 ब्राह्मण, 88 मुस्लिम, 92 एससी-एसटी, 105 से अधिक ओबीसी व अन्य को मैदान में उतारा है. मगर बसपा की इस सोशल इंजीनियरिंग का यह फॉर्मूला धुंआ हो गया. एक ही सीट बसपा हासिल कर सकी.