नई दिल्ली. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. केंद्र और राज्य सरकारों पर गंभीर आरोप लगाते हुए किसान यूनियन का आरोप है कि उन्हें शांतिपूर्ण प्रदर्शन से भी रोका जा रहा है. याचिका में दावा किया गया है कि कई किसान यूनियनों द्वारा अपनी फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी और स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को लागू करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन के आह्वान के बाद केंद्र और कुछ राज्यों ने “धमकी” जारी की है.
सिख चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रबंध निदेशक एग्नोस्टोस थियोस द्वारा दायर याचिका में कहा गया, “याचिकाकर्ता उन किसानों के हित की मांग कर रहे हैं जो अपने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर अनुचित व्यवहार का सामना कर रहे हैं.” दावा किया गया कि कुछ प्रदर्शनकारियों को विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा जबरन गिरफ्तार किया गया, हिरासत में लिया गया. उनका कहना है कि केंद्र ने सोशल मीडिया खातों को अवरुद्ध करने, यातायात का मार्ग बदलने और सड़कों को अवरुद्ध करने सहित निषेधात्मक उपायों को अनुचित रूप से लागू किया है.
याचिका में आरोप लगाया गया कि हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारों ने किसानों के खिलाफ आंसू गैस, रबर की गोलियों और छर्रों का इस्तेमाल करने जैसे “आक्रामक और हिंसक उपाय” अपनाए हैं, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं. याचिका में दावा किया गया है कि चिकित्सा सहायता के अभाव में चोटें बढ़ गईं और मौतें भी हुईं. कहा गया कि दिल्ली की सीमाओं पर किलेबंदी ने “शत्रुतापूर्ण और हिंसक स्थिति” पैदा कर दी है और किसानों को विरोध करने के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करने की अनुमति नहीं दी है. शांतिपूर्ण किसानों को केवल अपने लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों के प्रयोग के लिए अपनी ही सरकार द्वारा आतंकवादियों जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ा है.
याचिका में केंद्र, चार राज्यों और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को “भारत भर के किसानों की उचित मांगों पर विचार करने” का निर्देश देने की मांग की गई है. कहा गया कि प्रदर्शनकारी किसानों के साथ उचित और सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित करने के निर्देश कोर्ट सरकार को दे. याचिका में पीड़ित किसानों और उनके परिवारों के लिए पर्याप्त मुआवजे देने की भी मांग की गई.