दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री पिछले 9 महीनों से जेल में हैं और सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. दिल्ली शराब घोटाले मामले में भले ही मनीष सिसोदिया को आज राहत न मिली हो लेकिन सुप्रीम कोर्ट का आदेश उनके लिए राहत लेकर भी आया है. सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा है कि जांच एजेंसी जल्दी मनीष सिसोदिया के खिलाफ ट्रायल को पूरा करें. कोर्ट ने एजेंसियों को 7 से 8 महीने में ट्रायल पूरा करने को कहा है. वहीं मनीष सिसोदिया को कहा है कि अगर आपको लगता है कि 3 महीने में ट्रायल ने रफ्तार नहीं पकड़ी है तो आप जमानत के लिए फिर कोर्ट आ सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने मनीष सिसोदिया की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि हमने कहा था कि कुछ पहलू अब तक संदेहास्पद हैं, पर 338 करोड़ रुपये ट्रांसफ़र होने का पहलू लगभग साबित हो रहा है. लिहाजा वह जमानत अर्जी खारिज कर रहे हैं, पर एक और बात कहना चाहते हैं कि जांच एजेंसी ने आश्वस्त किया है कि 6 से 8 महीने में ट्रायल पूरा हो जाएगा, तो अगर तीन महीने में ऐसा लगता है कि ट्रायल की रफ्तार धीमी है तो दोबारा से जमानत के लिए याचिका डाल सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एजेंसी ने हमारे ज्यादातर सवालों का उचित जवाब नहीं दिया.
शीर्ष अदालत ने अब खत्म हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति से संबंधित भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामलों में दायर सिसोदिया की दो अलग-अलग नियमित जमानत याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने 17 अक्टूबर को दोनों याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. सिसोदिया को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 26 फरवरी को ‘घोटाले’ में उनकी भूमिका के आरोप में गिरफ्तार किया था. आम आदमी पार्टी (आप) नेता तब से हिरासत में हैं.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तिहाड़ जेल में पूछताछ के बाद नौ मार्च को सीबीआई की प्राथमिकी से जुड़े धन शोधन के मामले में सिसोदिया को गिरफ्तार किया. सिसोदिया ने 28 फरवरी को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था. हाईकोर्ट ने 30 मई को सीबीआई के मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उप मुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री रहने के कारण वह एक ‘हाई-प्रोफाइल’ व्यक्ति हैं जो गवाहों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं.
हाईकोर्ट ने तीन जुलाई को दिल्ली सरकार की आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़े धन शोधन के मामले में उन्हें जमानत देने से यह कहकर इनकार कर दिया था कि उनके खिलाफ आरोप ‘बहुत गंभीर प्रकृति’ के हैं. दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को यह नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे रद्द कर दिया. जांच एजेंसियों के मुताबिक, नई नीति के तहत थोक विक्रेताओं का मुनाफा पांच फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया था
एजेंसियों ने आरोप लगाया है कि नई नीति के परिणामस्वरूप गुटबंदी हुई और धन लाभ पाने के लिए शराब लाइसेंस देने में अयोग्य लोगों को लाभ दिया गया. दिल्ली सरकार और सिसोदिया ने किसी भी गलत काम से इनकार किया और नई नीति से दिल्ली के राजस्व हिस्से में वृद्धि का दावा किया है.