पटना. वीटीआर में क्षेत्र आपसी संघर्ष में घायल एक बाघिन की मौत पटना के संजय गांधी जैविक उद्यान में हो गई. जानकारी के अनुसार क्षेत्र विशेष के संघर्ष में बाघों के मरने की यह चौथी घटना है. पिछले तीन साल में एक शावक सहित चार बाघ इसी तरह की लड़ाई में जान गंवा चुके हैं. यह बाघिन 15 साल की थी, जिसे मंगराहां वन प्रक्षेत्र से एक अगस्त को रेस्क्यू कर राजधानी पटना के संजय गांधी जैविक उद्यान लाया गया था. बताते चलें कि बाघों की लड़ाई में मादा बाघिन की रौढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आई थी.
मानसून गश्त के दौरान वीटीआर के वनकर्मियों को बाघिन के कराहने की आवाज सुनाई दी थी. अधिकारियों के अनुसार, मंगराहां वन कार्यालय से 12 किलोमीटर दूर घने जंगल में जम्हौली दोमुहान के पास बाघिन को पिंजरे में कैद कर उपचार के लिए पटना चिड़ियाघर भेजा गया था. चिड़ियाघर के डॉक्टर समेत वरिष्ठ पशु चिकित्सकों की पूरी टीम बघिन को बचाने में जुटी थी. हालांकि, पूरी कोशिशों के बावजूद इस बाघिन को बचाया नहीं जा सका
बाघिन की हृदय गति रुकने से हुई मौत
प्राप्त जानकारी के अनुसार संघर्ष में बाघिन का ऊपर का दांत टूट गया था. जब बाघिन को बेहतर इलाज के लिए वीटीआर से पटना चिड़ियाघर लाया गया था, तो डीईएफसीसी ने पहले ही राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) को सूचित कर दिया था. बता दें कि NTCA केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है. इसी निकाय के द्वारा ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ का संचालन होता है. बिहार के एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान वीटीआर में बाघों की संख्या में 75 प्रतिशत की वृद्धि रिकॉर्ड की गई है. जहां साल 2018 में बाघों की संख्या 31 थी, तो साल 2022 में यह संख्या बढ़कर 54 हो गई है.