नई दिल्ली. बॉलीवुड में रुचि रखने वाले अधिकांश लोगों ने अनिल कपूर की फिल्म नायक तो जरूर देखी होगी. एक दिन का सीएम बने अनिल कपूर धड़ाधड़ फैसले लेते हुए नजर आए. काम चोरी करने वाले अफसरों, डाक्टरों और राज्य के गुंडों के खिलाफ उन्होंने फिल्म में जमकर कार्रवाई की थी. इन दिनों पश्चिम बंगाल के गवर्नर सीवी आनंद बोस भी कुछ इसी भूमिका में हैं. यही वजह है कि राज्य की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस पार्टी (TMC) को उनकी यह भूमिका जरा भी पसंद नहीं आ रही है. दरअसल, राज्य में पंचायत चुनाव होने हैं. ऐसे में राज्य चुनाव आयोग एक्शन में हैं. यही वजह है कि उपराज्यपाल सीवी आनंद बोस धड़ाधड़ फैसले ले पा रहे हैं.
बीते दिनों राज्यपाल के ओएसडी संदीप राजपूत उनके साथ कार में ट्रेवल कर रहे थे. तभी उन्हें एक कॉल प्राप्त हुआ. इसमें बताया गया कि दक्षिण 24 परगना में कुछ असमाजिक तत्वों द्वारा एक युवक की पिटाई की गई है. इस युवक से बातचीत करते हुए उन्होंने राज्यपाल को फोन पकड़ा दिया. सीवी आनंद बोस ने कार्रवाई का भरोसा देते हुए तुरंत ही ओएसडी को चुनाव आयुक्त को फोन मिलाने का निर्देश दिया. ओएसडी को यह निर्देश दिया गया कि वो तुरंत ही पीड़ित का फोन नंबर चुनाव आयुक्त को दें. दूसरी लाइन पर पीड़ित राज्यपाल के साथ बना हुआ था.
फिल्म नायक में अनिल कपूर अपने सहायक और एक टाइप-राइटरिस्ट के साथ एक दिन के सीएम की भूमिका में पूरा दिन मौजूद थे. वो हेल्पलाइन नंबर के माध्यम से लोगों की शिकायत को सुन रहे थे और बिना देरी किए फैसले ले रहे थे. एक्सपर्ट का कहना है कि बंगाल में गवर्नर का इस तरह से काम करना एक नया कल्चर बन गया है. इससे पहले बंगाल के गवर्नर रहे जगदीप धनखड़ भी सरकार द्वारा एक्शन नहीं लेने की आलोचना करते थे लेकिन उन्होंने कभी खुद आगे बढ़कर इस तरह से शिकायतों पर कदम नहीं उठाए.
आधी रात को भी एक्शन ले रहे गवर्नर
सीवी आनंद बोस ने इससे पहले भानगड़ में हुई हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया था. उन्होंने वहां एक ‘पीस रूम’ व ‘रैपिड एक्शन रूम’ की शुरुआत की. जहां आठ फोन के माध्मय से लोगों की शिकायत सुनने की व्यवस्था है. यहां मिलने वाली सभी शिकायतें राज्य चुनाव आयोग को भेजी जाती हैं. बॉस के लिए टाइमिंग ज्यादा मायने नहीं रखती है. सोमवार को रात 12:38 बजे उन्होंने अपने ओएसडी से कहा कि वो राज्य चुनाव आयुक्त को फोन मिलाएं और उन्हें दिनहाटा में हुई हिंसा पर निर्देश दें. इस हिंसा में पांच लोग घायल हो गए थे. उन्होंने केवल कूचबेहहार के एसपी और डीएम को फोन ही नहीं मिलाया बल्कि अस्पताल प्रशासन को फोन कर पीड़ित को इलाज देने के भी निर्देश दिए.
बीजेपी ने क्या कहा?
ट्रेन में ट्रेवल के दौरान भी उन्हें लोगों के कॉल सुनते हुए और कार्रवाई का भरोसा देते हुए सुना जा सकता है. वो अक्सर लोगों से जुड़े मुद्दों को सीधे प्रशासन के समक्ष ले जाते हैं और उनकी आर्थिक तौर पर मदद भी करते हैं. इसपर बीजेपी के बंगाल के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा, ‘जब प्रशासनिक प्रमुख अपने काम में विफल हो जाता है तो संवैधानिक प्रमुख को इसमें आगे बढ़कर एक्शन लेना पड़ता है. यह मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी का काम है. वो अपने काम में विफल रही हैं. इसलिए बोस को ऐसा करना पड़ रहा है. वो सभी लोगों तक पहुंच रहे हैं, जिसमें टीएमसी से जुड़े पीड़ित भी शामिल हैं.’
टीएमसी को लगी मिर्ची!
टीएमसी के महासचिव कुनाल घोष ने कहा, ‘राज्यपाल राजनीतिक पर्यटन कर रहे हैं. वो उन लोगों तक नहीं पहुंच रहे हैं जो टीएमसी से जुड़े पीड़ित हैं. वो बीजेपी के काडर के रूप में काम कर रहे हैं. पंचायत चुनाव के बाद उन्हें सभी जिलों में काले झंडे देखने पड़ेंगे. हम उनकी गतिविधियों की निंदा करते हैं.’