नई दिल्ली. भारत से फरार चल रहे हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी के खिलाफ जारी रेड कॉर्नर नोटिस इंटरपोल ने 20 मार्च को वापस ले लिया. हालांकि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के सूत्रों का कहना है कि भगोड़े जौहरी के खिलाफ प्रत्यर्पण कार्यवाही पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
सूत्र के मुताबिक, चोकसी के मामले में सीबीआई इंटरपोल की फाइल्स कंट्रोल कमीशन (सीसीएफ) और इंटरपोल की अन्य संस्थाओं के साथ लगातार संपर्क में है. यहां यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि प्रत्यर्पण कार्यवाही के लिए इंटरपोल के रेड नोटिस की कोई आवश्यकता नहीं होती.
सीबीआई का ग्लोबल ऑपरेशंस सेंटर मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पन के लिए केवल इंटरपोल चैनलों पर ही निर्भर नहीं है, बल्कि इस मुहिम में विदेशी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ करीबी प्रत्यक्ष समन्वय बनाए हुए है.
एंटीगुआ और बारबुडा से प्रत्यर्पण की कोशिशें जारी
भारत द्वारा किया गया प्रत्यर्पण अनुरोध एंटीगुआ और बारबुडा में अधिकारियों के समक्ष अब भी विचाराधीन है और चोकसी के खिलाफ रेड नोटिस को रद्द किए जाने का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है.
सीबीआई ने चोकसी के खिलाफ अपना पहला मामला वर्ष 2018 में पंजाब नेशनल बैंक को 13,500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के लिए दर्ज किया था. सीबीआई पहले ही चोकसी और अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत दो आरोप पत्र दायर कर चुकी है. पिछले साल सीबीआई ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों को धोखा देने के आरोप में चौकसी और अन्य के खिलाफ पांच और आपराधिक मामले दर्ज किए थे.
चोकसी के खिलाफ सीबीआई की पैनी नजर
इंटरपोल के राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो के रूप में सीबीआई ने फरार अपराधी चोकसी का पता लगाने के लिए फरवरी, 2018 में एक मेमो (अन्य सदस्य देशों से सहयोग के लिए एक आह्वान) जारी किया था. इसके साथ ही सीबीआई विदेशी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ मिलकर चोकसी की हर मूवमेंट पर करीबी निगाह बनाए हुए थी. इससे पता चला कि वह एंटीगुआ और बारबुडा पहुंच चुका था. इसके बाद अगस्त, 2018 में राजनयिक चैनलों के माध्यम से एंटीगुआ और बारबुडा के सक्षम अधिकारियों को चोकसी के खिलाफ प्रत्यर्पण अनुरोध भेजा गया था.
इसके बाद उसी साल चोकसी ने अपने खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी न करने का अनुरोध करते हुए सीसीएफ से संपर्क किया. सीसीएफ इंटरपोल के भीतर एक अलग निकाय है, जो इंटरपोल सचिवालय के नियंत्रण में नहीं है. इसमें मुख्य रूप से विभिन्न देशों के निर्वाचित वकील होते हैं. सीसीएफ ने चोकसी के अनुरोध का अध्ययन किया और फिर सीबीआई से इस बाबत परामर्श भी किया था. सीसीएफ ने फिर चोकसी के अभ्यावेदन को खारिज कर दिया था, जिसके बाद इंटरपोल ने रेड नोटिस जारी किया.
इंटरपोल ने सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अनुरोध पर दिसंबर, 2018 में चोकसी के खिलाफ केवल एक रेड नोटिस जारी किया था. यह सीबीआई द्वारा एक वॉन्टेड अपराधी की जियो-लोकेशन और प्रत्यर्पण अनुरोध की शुरुआत के बाद था.
किस लिए जारी किया जाता है रेड कॉर्नर नोटिस?
इंटरपोल द्वारा जारी किए गए रेड कॉर्नर नोटिस का उद्देश्य किसी वांछित अपराधी के ठिकाने की तलाश करना है और अंततः प्रत्यर्पण, आत्मसमर्पण या इसी तरह की कार्रवाई के उद्देश्य से उनकी हिरासत, गिरफ्तारी या आवाजाही पर प्रतिबंध लगाना है. यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि इंटरपोल की ओर से रेड कॉर्नर नोटिस जारी किए जाने से पहले ही मेहुल चोकसी का पता लगा लिया गया था और उसके प्रत्यर्पण की कोशिशें शुरू कर दी गई थीं. ऐसे में रेड कॉर्नर नोटिस का प्राथमिक उद्देश्य पहले ही हासिल कर लिया गया था, लेकिन एहतियाती उपाय के रूप में इसे बरकरार रखा गया था.
इस बीच एंटीगुआ और बारबुडा में चोकसी के खिलाफ प्रत्यर्पण की कार्यवाही शुरू हुई तो उसने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पहुंचकर मनगढ़ंत और काल्पनिक कथाओं के साथ ध्यान भटकाना शुरू कर दिया.
इसके बाद वर्ष 2019 में चोकसी ने इंटरपोल की वेबसाइट से रेड नोटिस को हटाने की मांग करते हुए सीसीएफ से दोबारा संपर्क किया. सीसीएफ ने उसके अनुरोध का अध्ययन किया, सीबीआई से परामर्श किया और एजेंसी से मिले इनपुट्स के आधार पर वर्ष 2020 में उसकी याचिका फिर से खारिज कर दी.
झूठी कहानियों के सहारे प्रत्यर्पण की कोशिशों में अड़ंगा लगाता रहा चोकसी
एंटीगुआ और बारबुडा से भारत प्रत्यर्पित किए जाने से घबराए चोकसी ने कई झूठे दावे करते हुए प्रत्यर्पण कार्यवाही को पटरी से उतारने की कोशिश की. उसने वर्ष 2020 के अपने पहले के फैसले को संशोधित करने के लिए जुलाई, 2022 में फिर से अंतरराष्ट्रीय मंचों और सीसीएफ से संपर्क किया.
सीसीएफ ने फिर एक बार सीबीआई और ईडी से इसे लेकर परामर्श किया, जिसने चोकसी के दावों को पूरी तरह से निराधार बताते हुए सीसीएफ के सामने तथ्यात्मक स्थिति पेश की. हालांकि, पांच सदस्यीय सीसीएफ चैंबर ने नवंबर, 2022 में चोकसी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस को हटाने का फैसला ले लिया.