नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खात्मे पर तीन साल में ट्रिपल अटैक किया गया है. पहले स्टेट इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी, फिर स्टेट इन्वेस्टिगेटिंग यूनिट के बाद अब बनाया गया है टेरर मानिटरिंग ग्रुप, जो कि संदिग्ध पुलिसकर्मियों, सरकारी कर्मचारियों के टेरर लिंक पर निगरानी करेगा. दरअसल, पिछले कुछ सालों में सुरक्षा एजेंसियों को ये जानकारी मिली है कि आतंकियों के निशाने पर जम्मू-कश्मीर पुलिस, केन्द्रीय अर्धसैनिक बल और सेना के जवान और सरकारी कर्मचारी हैं जिन्हें वो भड़काने की कोशिश कर रहे हैं. आतंकियों के ऐसे मंसूबों को नस्तेनाबूद करने के लिए ही बनाया गया है टेरर मानिटरिंग ग्रुप.
आतंकवादियों पर नकेल कसने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार ने टेरर मॉनिटरिंग ग्रुप यानी ‘आतंक निगरानी समूह’ की स्थापना के लिए मंजूरी दे दी है. , जम्मू-कश्मीर सरकार के गृह विभाग के अनुसार, ‘टेरर मॉनिटरिंग ग्रुप’ के तहत एक वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, छह पुलिस उपाधीक्षक, छह निरीक्षक, छह हेड कांस्टेबल और एक अनुयायी होंगे. टेरर मॉनिटरिंग ग्रुप जम्मू-कश्मीर प्रशासन के अधीन होगा और ज्यादातर यह उन पुलिस की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए बनाया गया है जिन पर शक है कि उनका संपर्क आतंकियों से है. साथ ही अन्य महकमों पर भी यह मॉनिटरिंग ग्रुप निगरानी करेगा.
टेरर मॉनिटरिंग ग्रुप का मकसद शिक्षकों, पुलिस सहित सरकारी कर्मचारियों के बीच कट्टर सहानुभूति रखने वालों के खिलाफ कार्रवाई करना और उन लोगों के खिलाफ सबूत जुटाना है जो ऐसी (आतंकवादी) गतिविधियों को प्रत्यक्ष या गुप्त समर्थन लगातार देते रहते हैं. इसके अलावा, यह ग्रुप आतंकवादी फंडिंग से जुड़े मामलों को देखेगा और ‘किसी भी रूप में समर्थन, आतंकी गतिविधियों में शामिल संगठनों के नेताओं सहित सभी प्रमुख व्यक्तियों की पहचान करेगा और उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई करेगा. इसके अलावा टेरर मॉनिटरिंग ग्रुप नियमित अंतराल पर बैठक भी करेगा और अपनी कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा.
सरकार का जम्मू-कश्मीर में आतंक के वित्तपोषण और आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों के खिलाफ समन्वित और ठोस कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया ये कदम काफी अहम है और इसीलिए आतंकवादी निगरानी समूह की स्थापना की गई है. टीएमजी में जम्मू-कश्मीर पुलिस, इंटेलिजेंस ब्यूरो, सीबीआई, एनआईए और आयकर विभाग के प्रतिनिधि होंगे. गौरतलब है कि इससे पहले स्टेट इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी और स्टेट इन्वेस्टिगेशन यूनिट का गठन पिछले 2 सालों में हो चुका है जो जम्मू-कश्मीर में भ्रष्टाचार और आतंकवाद के अलग-अलग पहलू की जांच कर रहे हैं. अब नए विभाग के गठन से सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को उम्मीद है कि उन्हें आतंकवाद की कमर तोड़ने में और ज्यादा मदद मिलेगी.