नई दिल्ली. पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर पेयू (PayU) ने अपने 150 कर्मचारियों को कंपनी से निकाल (layoffs) दिया है. यह भारत में इसके कुल कर्मचारियों का 6 फ़ीसदी हिस्सा है. नीदरलैंड की इस कंपनी द्वारा की गई छंटनी का असर मुख्य रूप से पेयू की इंडिया यूनिट और विम्बु पर पड़ा है. विम्बु कैलिफोर्निया की एक पेमेंट सिक्योरिटी कंपनी है जिसको 2019 में पेयू ने 7 करोड़ डॉलर में खरीद लिया था. पेयू साउथ अफ्रीका की मल्टीनैशनल कंपनी नेसपर्स का इन्वेस्टमेंट बिजनेस है.
इस कंपनी के दूसरे फिनटेक बिजनेस में सिट्रस और लेज़ीपे शामिल हैं. नेसपर्स एक अन्य कंपनी प्रोसस के माध्यम से पेयू को संचालित करती है. प्रोसस में अधिकांश हिस्सेदारी नेसपर्स की है. बाकी बची हिस्सेदारी खुले बाजार में शेयरधारकों के पास है.
हाल ही में पेयू ने अरविंद अग्रवाल को कंपनी के सीएफओ के रूप में नियुक्त किया था. अरविंद अग्रवाल ने इससे पहले ब्यूटी प्रोडक्ट स्टार्टअप नायका में अपनी सेवाएं दी थीं. 2020 में नायका से जुड़ने से पहले अरविंद ने अमेजन में फाइनेंशियल प्लानिंग एनालिसिस लीडर के रूप में 3 साल के लिए काम किया था 2012 में वोडाफोन इंडिया से फाइनेंशियल कंट्रोलर के पद पर जुड़े थे जहां उन्होंने 5 साल तक काम किया था.
पेयू इंडिया अग्रणी पेमेंट सॉल्यूशन प्रोवाइडर है. यह आरबीआई के द्वारा रेग्युलेटेड कंपनी है. इसके पास भारतीय मार्केट की जरूरत के हिसाब से एडवांस पेमेंट सिस्टम हैं. यह कंपनी ऑनलाइन बिजनेसों को पेमेंट गेटवे प्रोवाइड करती है. इसकी सेवाएं 4.5 व्यापारियों ने ली हैं. इसके क्लाइंट्स में बड़े इंटरप्राइजेज, ई-कॉमर्स कंपनियां, और एसएमबी शामिल हैं. यह 150 ऑनलाइन पेमेंट मेथड के माध्यम से व्यवसायियों को डिजिटल पेमेंट कलेक्ट करने में मदद करती है. इन माध्यमों में क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग, ईएमआई, बीएनपीएल, क्यूआर व यूपीआई वॉलेट आदि शामिल है.
इसी साल अक्टूबर में पेयू ने रेवेन्यू के आंकड़े जारी किए. कंपनी के रेवेन्यू में वित्त वर्ष 22 में 51 फ़ीसदी की बढ़त दर्ज हुई. वित्त वर्ष 22 में पेयू का रेवेन्यू 2130 करोड़ रुपए रहा. हालांकि, कंपनी का खर्च भी बहुत तेजी से बढ़ा. यह वित्त वर्ष में 2230 करोंड़ रुपये रहा. जो उससे पिछले वित्त वर्ष से 46 फ़ीसदी अधिक था. इस लिहाज से कंपनी को बीते वित्त वर्ष में 126 करोड़ रुपए का घाटा हुआ.