शिमला: हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री की रेस में कांग्रेस विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू सबसे आगे माने जा रहे हैं. सीएम पद पर दावा ठोक रहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को संतुष्ट करने के लिए उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह को सरकार में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है. News18 India से एक्सक्लूसिव बातचीत में सुखविंद सिंह सुक्खू ने अपनी सीएम उम्मीदवारी के बारे में कहा, प्रतिभा सिंह के प्रभाव वाले मंडी जिले में कांग्रेस को 10 में से सिर्फ 1 सीट पर जीत मिली. आलाकमान कोई भी फैसला लेते वक्त इन बातों का ध्यान रखेगा. सुक्खू ने कहा, जो हमीरपुर सीट है वह भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का क्षेत्र है और अनुराग ठाकुर की संसदीय सीट है. हमने वहां शानदार प्रदर्शन करके दिखाया है. उन्होंने कहा कि हाई कमांड के पास सरे डिटेल्स हैं. वहीं News18 India को सुखविंदर सिंह सुक्खू के करीबियों से पता चला है कि आलाकमान की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए उनके नाम पर मुहर लग गई है.
दरअसल, पिछले 3 दशक में हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस मतलब वीरभद्र सिंह ही रहे. इस बार भी पार्टी ने उनका चेहरा सामने रखकर चुनाव लड़ा था. ऐसे में उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह, जो मौजूदा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष हैं, वह मुख्यमंत्री पद की दावेदारी में खुद को सबसे आगे मान रही हैं. उनके विधायक बेटे विक्रमादित्य सिंह को दूसरी बार भी टिकट दिया था और वह जीत गए. हालांकि न तो प्रतिभा सिंह और न ही विक्रमादित्य के पास प्रशासनिक अनुभव है और यह बात उनके खिलाफ जाती है. अपने ही संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस को 10 में से सिर्फ 1 सीट दिला पाना भी, मुख्यमंत्री पद की राह में वीरभद्र सिहं फैमिली के लिए रोड़ा बन रहा है. इतना ही नहीं, प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री बनाने से उनको मंडी लोकसभा सीट से इस्तीफा देना पड़ेगा, फिर किसी विधानसभा सीट से उनको चुनाव लड़ाना पड़ेगा.
पार्टी नहीं चाहती कि एक साथ दो उपचुनाव हों. कांग्रेस को लगता है उपचुनाव में अगर खुदा न खास्ता उसका प्रदर्शन खराब हो गया तो उनके एकतरफा जीत का दावा सवालों के घेरे में आ जाएगा और जीत का टेंपो नीचे आ जाएगा. इसीलिए आलाकमान प्रतिभा सिंह की बजाए सुक्खू की तरफ देख रहा है. हिमाचल में सबसे ताकतवर जाति राजपूत है, सुखविंदर सिंह सुक्खू उसी से ताल्लुक रखते हैं. वह प्रतिभा सिंह की दावेदारी के खिलाफ हैं और खुद मुख्यमंत्री पद पर दावा ठोक रहे हैं. वह चुनाव में कांग्रेस कैम्पेन कमेटी के चैयरमैन थे. आम परिवार से आते हैं, एनएसयूआई और यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं. राहुल गांधी के करीबी हैं. राहुल ने ही उनको हिमाचल प्रदेश का पार्टी अध्यक्ष बनवाया था. वह केंद्रीय नेतृत्व को तर्क देते हैं कि हर वक्त राज परिवार को ही मौका देना लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है. बल्कि उन जैसे आम परिवार से आने वाले कार्यकर्ताओं को भी एक बार मौका जरूर मिलना चाहिए.