नई दिल्ली: देश की 3 लोकसभा और 7 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे सामने आ गए हैं. इन चुनावी परिणामों ने एक बार फिर चौंकाया दिया है. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट गंवा दी है. वहीं पंजाब में आम आदमी पार्टी की संगरूर लोकसभा सीट पर हार हुई है. ये नतीजे बताते हैं कि अतिआत्मविश्वास एसपी और आप के लिए हार का कारण बना.
आजमगढ़ और रामपुर में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रचार नहीं किया. जबकि योगी आदित्यनाथ ने आक्रामक तरीके से कैंपेन किया.
आजमगढ़ लोकसभा सीट अखिलेश यादव की संसदीय सीट थी, लेकिन करहल विधानसभा सीट को बरकरार रखने के लिए उन्होंने आजमगढ़ सीट को छोड़ दिया. अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव ने आजमगढ़ सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन एक अति आत्मविश्वास के कारण अखिलेश ने उनके लिए प्रचार भी नहीं किया.
रामपुर से सपा विधायक आजम खान दो साल से अधिक समय से जेल में थे, लेकिन उन्होंने रामपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए अपने परिवार के किसी सदस्य को आगे नहीं किया. उन्होंने 2019 में इस सीट पर जीत दर्ज की थी. समाजवादी पार्टी को रामपुर में मिली हार यह दर्शाती है कि इन दो सालों में काफी कुछ बदला है. अखिलेश यादव से आजम खान के मनमुटाव और प्रचार अभियान में कमी कारण यह परिणाम सामने आया.
यूपी में फिर बढ़ी बीजेपी की लोकसभा सीट
यूपी के उपचुनाव परिणामों से यह साबित हुआ है कि जनता ने भारतीय जनता पार्टी की अपराधियों के खिलाफ “बुलडोजर कार्रवाई” और “सख्त दृष्टिकोण” पसंद आया. बीजेपी नेतृत्व इस जीत से खुश होगा क्योंकि 2014 में पार्टी ने 80 में से 73 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी लेकिन 2019 यह संख्या 64 रह गई. लेकिन अब यूपी में एनडीए की लोकसभा की संख्या बढ़ गई है.
खास बात है कि सपा ने 2019 में बसपा के साथ गठबंधन में रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीटें जीती थीं. लेकिन इस बार बीएसपी ने अलग से चुनाव लड़ा और आजमगढ़ में उसके उम्मीदवार शाह आलम को लगभग 30% वोट मिले, जिससे यहां समाजवादी पार्टी की जीत की संभावना कम हो गई. रामपुर में बीजेपी का सपा से सीधा मुकाबला था और उसके प्रत्याशी घनश्याम लोधी ने जीत हासिल की.
बीजेपी नेता बीएल संतोष ने कहा कि यह “सांप्रदायिक, विभाजनकारी, अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की राजनीति के लिए खतरे की घंटी है. यूपी की जनता ने पीएम मोदी और सीएम योगी की विकास की राजनीति का समर्थन किया है.