24 घंटे निर्मल जल मुहैया कराने की दिशा में दिल्ली सरकार चंद्रावल में नया जल शोधक संयंत्र बना रही है। करीब 600 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा यह संयंत्र एक साल में तैयार हो जाएगा।
इसकी क्षमता 477 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) पानी को ट्रीट करने की होगी। इससे 22 लाख लोगों की आबादी को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा सकेगा। जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने शुक्रवार को चंद्रावल में बनाए जा रहे संयंत्र का मुआयना किया।
इस मौके पर जल मंत्री ने अधिकारियों से संयंत्र को उम्मीदों के अनुरूप बनाने और गुणवत्ता पूर्ण कार्य पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि चंद्रावल संयंत्र दिल्ली के सबसे आधुनिक संयंत्रों में से एक है। इसके शुरू होने के बाद दिल्ली में पानी की मात्रा बढ़ जाएगी।
इसकी खासियत यह होगी कि यह अमोनिया वाले पानी को भी साफ कर पाएगा। फिलहाल पुरानी टेक्नोलॉजी में लगाए गए संयंत्र अमोनिया युक्त पानी को साफ करने में असक्षम हैं, जिस कारण संयंत्र को बंद करना पड़ता है।
संयंत्र बंद होने की समस्या का होगा समाधान
चंद्रावल में दो संयंत्र चल रहे हैं। इनमें से एक 35 एमजीडी का है, जिसे 1940 में बनाया गया था, जबकि दूसरा 55 एमजीडी का है और यह 1960 में बना था। दोनों संयंत्र काफी पुराने हो चुके हैं।
इस कारण हरियाणा से आने वाले पानी में अधिक अमोनिया लेवल होने पर यह संयंत्र बंद करने की नौबत आ जाती है और जल आपूर्ति बाधित हो जाती है, लेकिन चंद्रावल में बनाए जा रहे आधुनिक संयंत्र के शुरू होने के बाद इसके बंद होने की समस्या का समाधान हो जाएगा।
यह उच्च स्तर के अमोनिया कंटेंट (4 पीपीएम तक) को ट्रीट कर सकेगा। इसके अलावा मौजूदा 55 एमजीडी वाले संयंत्र को भी पुनर्विकसित किया जाएगा। चंद्रावल के दोनों संयंत्र से 160 एमजीडी तक पानी की आपूर्ति हो सकेगी।
अत्याधुनिक तकनीक का किया जाएगा इस्तेमाल
चंद्रावल संयंत्र दिल्ली के सबसे आधुनिक संयंत्रों में से एक होगा। इसमें ओजोनेशन जेनरेशन सिस्टम, ओजोन कॉटेक्ट टैंक, रैपिड ग्रेविटी फिल्ट्रेशन सिस्टम, पम्प हाउस (ट्रीटेड वाटर ट्रांसमिशन पंप्स), केमिकल हाउस और केमिकल डोजिंग सिस्टम की सुविधा होगी।
इसमें ओजोनेशन और एक्टिव कार्बन तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। यह संयंत्र पानी से आर्गेनिक मैटर, बैक्टीरिया और वायरस को भी निकाल सकेगा। पानी के टेस्ट और बदबू को भी साफ करेगा। चंद्रावल संयंत्र पानी की निगरानी भी करेगा।