पंजाब के बाद गुजरात में अपने लिए बेहतर संभावनाएं देख रही है. यहां तक कि पार्टी नेता तो अच्छी खासी संख्या में विधानसभा सीटें जीतने का दावा भी करने लगे हैं. जैसे कि आप के गुजरात प्रभारी डॉक्टर संदीप पाठक ने दावा किया है कि अगर राज्य में अभी चुनाव हो जाते हैं तो उनकी पार्टी 58 सीटें जीत सकती है.
संदीप पाठक ने ‘इंडिया टुडे’ से बातचीत के दौरान कहा, ‘हमें एक सरकारी खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट की जानकारी मिली है. उसके मुताबिक आप गुजरात में 55 तक सीटें जीत सकती है. जबकि हमने वैज्ञानिक आधार पर एक अपना आंतरिक सर्वे भी कराया है. इसके हिसाब से अगर विधानसभा चुनाव हो जाते हैं, तो हमें गुजरात में 58 सीटें मिल सकती हैं.’ उन्होंने कहा, ‘गुजरात के लोगों को बदलाव चाहिए. कांग्रेस इस वक्त भारतीय जनता पार्टी को नहीं हरा सकती. पूरा गुजरात ये जानता है. ऐसे में आप ही एक विकल्प रह जाता है. गुजरात के लोग उसके जरिए बदलाव लाएंगे. वैसे, हम किसी पार्टी को हराना नहीं चाहते. हम चाहते हैं कि गुजरात के लोग जीतें. उन्हें अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजनगार जैसी मूलभूत सुविधाएं मिल सकें.’
गांवों में जहां कांग्रेस मजबूत थी, हमारा ध्यान अब वहीं
पाठक ने बताया, ‘एक समय था जब गांवों में कांग्रेस पार्टी काफी मजबूत हुआ करती थी. लेकिन अब स्थितियां वहां बदल चुकी हैं. इसलिए हमारा पहला ध्यान उन्हीं इलाकों पर है. शहरों में भी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग अब भाजपा पर भरोसा नहीं करता. हम उनके लिए भी बेहतर विकल्प बनने की कोशिश कर रहे हैं.’ बताते चलें कि गुजरात में वैसे तो इस साल दिसंबर तक विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Elections) होना है. हालांकि कुछ जानकार ये भी संभावना जता रहे हैं कि शायद ये चुनाव कुछ पहले भी कराए जा सकते हैं.
पंजाब की जीत के रणनीतिकार माने जाते हैं संदीप पाठक
संदीप पाठक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), दिल्ली के पूर्व प्रोफेसर हैं. उन्हें आप के प्रमुख रणनीतिकारों में गिना जाता है. पंजाब विधानसभा चुनाव में आप को मिली एकतरफा जीत का श्रेय भी उनकी रणनीतियों को दिया जा रहा है. पाठक अब उसी तरह की रणनीतियां गुजरात में लागू कर रहे हैं. उन्होंने बातचीत के दौरान कहा भी, ‘जो लोग भी अच्छे स्कूल, अस्पताल जैसी सुविधाएं गुजरात में चाहते हैं, उन सभी का आप में स्वागत है.’ उन्होंने यह भी कहा, ‘गुजरात और पंजाब में काफी कुछ समान है. दोनों राज्य तरक्कीपसंद हैं. दोनों को बदलाव की दरकार है.’