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अफगान में बनेगी तालिबानी सरकार ,मुल्ला बरादर को मिलेगी कमान

अफगानिस्तान में तालिबान का नया वजीरेआजम घोषित होगा, तालिबान का सह-संस्थापक मुल्ला बरादर इस सरकार का नेतृत्व करेगा। हालांकि नई सरकार का गठन शुक्रवार को होना था, लेकिन इसे एक दिन के लिए टाल दिया गया। तालिबान प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि नई सरकार के गठन की घोषणा शनिवार को होगी।

अफगानिस्तान में आज नहीं बनेगी 'तालिबान सरकार', जबीउल्लाह मुजाहिद बोले- 4 सितंबर को होगा सरकार गठन का ऐलान | Afghan government formation by Taliban postponed to be ...
तालिबान सूत्रों ने बताया कि दोहा स्थित तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के चेयरमैन मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को सरकार का प्रमुख बनाने की सार्वजनिक घोषणा जल्द ही होगी। मुल्ला बरादर के साथ तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला मोहम्मद याकूब व शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई की भी सरकार में अहम भूमिका होगी। तालिबान के सूचना व संस्कृति आयोग के वरिष्ठ अधिकारी मुफ्ती इनामुल्लाह सामंगानी ने कहा कि सभी शीर्ष नेता काबुल पहुंच चुके हैं और नई सरकार का एलान करने की तैयारियां अंतिम दौर में हैं। सरकार के गठन को लेकर आपसी सहमति बन चुकी है, और अब मंत्रिमंडल को लेकर कुछ आवश्यक बातचीत हो रही है।

Kabul Taliban News, Democracy In Afghanistan, Taliban Leader Says, No Democracy Is Possible In Afghanistan, Discussion Is Going On For Makin Government - तालिबानी नेता ने कहा: अफगानिस्तान में नहीं होगा ...
अखुंदजादा बनाएगा इस्लामिक सरकार का ढांचा
एक वरिष्ठ तालिबान अधिकारी के मुताबिक, संगठन का सुप्रीम लीडर हैबतुल्लाह अखुंदजादा धार्मिक मामलों और इस्लाम के दायरे में ईरान की तर्ज पर राजव्यवस्था का ढांचा तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। मौजूदा जानकारी के मुताबिक नई तालिबानी सरकार में 12 मुस्लिम विद्वानों के सूरा या सलाहकारी परिषद के साथ 25 मंत्री होंगे।

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छह से आठ महीन में लोया जिरगा बुलाने की योजना 
छह से आठ महीने के भीतर एक लोया जिरगा यानी महासभा बुलाने की भी योजना बनाई जा रही है, जिसमें संविधान और भविष्य की सरकार की संरचना पर चर्चा करने के लिए अफगान समाज के बुजुर्गों और प्रतिनिधियों को एक साथ लाया जाएगा।

एक वरिष्ठ तालिबान अधिकारी के मुताबिक, संगठन का सुप्रीम लीडर हैबतुल्लाह अखुंदजादा धार्मिक मामलों और इस्लाम के दायरे में ईरान की तर्ज पर राजव्यवस्था का ढांचा तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
मौजूदा जानकारी के मुताबिक नई तालिबानी सरकार में 12 मुस्लिम विद्वानों के सूरा या सलाहकारी परिषद के साथ 25 मंत्री होंगे।अफगान राष्ट्रपति गनी के भाई ने तालिबान से मिलाया हाथ, ब्रादर ने सरकार बनाने की कोशिश

छह से आठ महीने के भीतर एक लोया जिरगा यानी महासभा बुलाने की भी योजना बनाई जा रही है, जिसमें संविधान और भविष्य की सरकार की संरचना पर चर्चा करने के लिए अफगान समाज के बुजुर्गों और प्रतिनिधियों को एक साथ लाया जाएगा।

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मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के बारे में जानिए 
1968 में अफगानिस्तान के उरुजगान प्रांत में जन्मा बरादर शुरू से ही धार्मिक रूप से कट्टर था। वह तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का साला है। बरादर ने 1980 के दशक में सोवियत संघ के खिलाफ लड़ाई लड़ी। 1992 में रूसी सेना को खदेड़ने के बाद अफगानिस्तान देश के प्रतिद्वंद्वी सरदारों के बीच गृहयुद्ध में घिर गया था। बरादर ने अपने पूर्व कमांडर मुल्ला उमर के साथ कंधार में एक मदरसा स्थापित किया था। इसके बाद मुल्ला उमर और मुल्ला बरादर ने तालिबान की स्थापना की।तालिबान ने शुरू की नई सरकार बनाने की तैयारी, मुल्ला बरादर के हाथ होगा अफगानिस्तान की कमान! - Dainik Dehat

9/11 हमलों के बाद जब अमेरिका ने अफगानिस्तान पर धावा बोला तब तालिबान के सभी बड़े नेताओं को पाकिस्तान में पनाह मिली थी। इन नेताओं में मुल्ला उमर और अब्दुल गनी बरादर भी शामिल थे। बताया जाता है कि बरादर को पाकिस्तान ने फरवरी 2010 में पाकिस्तान के कराची में गिरफ्तार किया था। हालांकि, इसका खुलासा करीब एक हफ्ते बाद किया गया था। इसके बाद बरादर को अक्टूबर 2018 तक पाकिस्तान की जेल में रखा गया और बाद में अमेरिका के दखल पर उसे छोड़ दिया गया। Taliban co-founder Mullah Abdul Ghani Baradar may be become the new president of Afghanistan | तालिबानी सरकार बनाने की कोशिशें तेज, मुल्ला बरादर हो सकता है अफगानिस्तान का नया ...

काबुल में अफगान महिलाओं ने किया प्रदर्शन
अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार में भागीदारी मांगने के लिए अफगान महिलाओं के एक समूह ने शुक्रवार को राजधानी काबुल में प्रदर्शन किया। सीएनएन के मुताबिक, वुमंस पॉलीटिक्ल पार्टिसिपेशन नेटवर्क नामक इस समूह ने अफगानिस्तान वित्त मंत्रालय के बाहर सड़कों पर हाथों में बैनर लेकर नारे लगाते हुए पैदल मार्च निकाला। मार्च में शामिल महिलाओं ने देश में अपने लिए निर्णय लेने वाली राजनीतिक भूमिका दिए जाने की मांग की।Afghanistan-Taliban Crisis: शुक्रवार को सरकार बनाएगा तालिबान, जानिए कौन होगा राष्ट्रपति, कौन बनेगा मंत्री | News Track in Hindi

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भारत अपने पत्ते नहीं खोल रहा
तालिबान से औपचारिक बातचीत के बावजूद अफगानिस्तान की नई सरकार के मामले में भारत अपने पत्ते नहीं खोल रहा। तालिबान में कई गुटों के कारण भारत फैसला नहीं ले पा रहा। नई सरकार में मुल्ला बरादर गुट हावी रहा, तो भारत अफगानिस्तान से बातचीत की प्रक्रिया शुरू करेगा, लेकिन हक्कानी गुट प्रभावी रहा तो जांच-परख के बाद फैसला होगा।

विदेश मंत्रालय ने कहा था कि दोहा बैठक को सरकार को मान्यता और बातचीत से नहीं जोड़ना चाहिए। हक्कानी गुट अधिक कट्टर है व उसके पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और अलकायदा से गहरे रिश्ते हैं। हक्कानी अपनी शर्तों पर भारत से रिश्ते चाहता है। इसके एजेंडे में कश्मीर भी है।टीम-12 के सहारे अफगानिस्तान पर शासन करने की तैयारी में तालिबान

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