बताया जा रहा है कि जब सिद्धू स्थानीय निकाय मंत्री (local body minister) थे, तो उस दौरान कथित तौर पर जीरकपुर, डेराबस्सी और चंडीगढ़ के पास स्थित नया गांव जमीन मामले में कुछ अनियमितताएं हुई थीं. इसके अलावा अमृतसर में नगर सुधार ट्रस्ट की ओर से बिक्री के लिए बनाए गए बूथ को कम किराये पर अपने चहेतों को देने के भी आरोप हैं. सूत्रों का कहना है कि मामले में विजिलेंस ने कुछ सबूत भी जुटाए हैं. एक हिंदी दैनिक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक नियमों को दरकिनार कर प्लॉट की अदला-बदली के मामलों को लेकर भी विजिलेंस ने जांच की है
सिद्धू के ओएसडी रहे रुपिंद्र सिंह उर्फ बन्नी संधू की ओर से कमर्शियल प्रोजेक्ट के सीएलयू दिलाने का मामला भी सामने आया है. वहीं उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू के निजी सहायक गौरव वासु भी विजिलेंस की रडार पर हैं. प्रोजेक्टों को नियमों के खिलाफ जाकर मंजूरी दिलाने, अमृतसर में कम कीमत पर दो बूथ हासिल करने, बूथ किराये पर लेकर आगे किसी और को देने, सस्ते भाव पर कमर्शियल विज्ञापन के टेंडर हासिल करने के सुराग विजिलेंस के हाथ लगे हैं.
गौरतलब है कि बीते सप्ताह सिद्धू ने एक ट्वीट में आरोप लगाया था, ‘विधायकों के बीच यह आम सहमति है कि कांग्रेस सरकार के बदले में बादल सरकार शासन कर रही है … अक्सर हमारे विधायकों और पार्टी कार्यकर्ताओं की बात सुनने की बजाय नौकरशाही और पुलिस बादल परिवार की इच्छाओं के अनुसार काम करती है. सरकार जनता के कल्याण के लिए नहीं, बल्कि माफिया राज जारी रखने के लिए कार्य करती है.’