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कोविड19 से होने वाली मौतों के आँकड़ों को कम करके दिखाना भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए ख़तरनाक़ खेल साबित हो सकता है

श्मशानों में जलती चिताओं और दाहकर्म के लिए प्रतीक्षा की कतारों को देख कर कोरोना से मरने वालों के सरकारी आँकड़ों पर संदेह होना स्वाभाविक है। पर अब इस संभावना को लेकर विदेशी मीडिया में भी चर्चा होने लगी है।Mass cremations in New Delhi as India's capital faces deluge of COVID-19  deaths - ABC News

‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने आज अपने दक्षिण एशिया ब्यूरो प्रमुख जेफ़री जेंटलमन की एक लंबी रिपोर्ट छापी है। लगभग एक सप्ताह पहले ‘रॉयटर्स’ ने एलस्डेयर पॉल की एक रिपोर्ट छापी थी। पिछले साल विज्ञान पत्रिका ‘लान्सेट’ में पत्रलेखा चटर्जी ने भारत सरकार के आँकड़ों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे।बिहार: चिकित्सा अधिकारी ने अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के कारण इस्तीफ़ा देने  की पेशकश की

जिन लोगों की अस्पतालों में जगह न मिलने या अस्पताल न जा पाने के कारण घरों पर ही मौत हो रही है, उन्हें नहीं गिना जा रहा।

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मौतें छिपा रही हैं सरकारें

स्वास्थ्य सेवाओं के चरमरा जाने के कारण मुर्दाघऱों में जगह ही नहीं है। इसलिए बहुत से शवों को मौत का कारण दर्ज किए बिना ही दाहकर्म के लिए भेज दिया जा रहा है।जबलपुर: कोरोना का विकराल रूप, श्मशान घाटों में नहीं बुझ रही चिताओं की आग

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के आज के बयान से ऐसा आभास भी मिल रहा है कि कुछ राज्य सरकारों में अब कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या कम दिखाकर अपने प्रशासन की बेहतरी जताने की होड़ भी चल रही है।इंदौर: ओवरटाइम कर रहे श्मशान घाट के सेवादार, देर रात तक हो रहा है अंतिम  संस्कार - Trending AajTak

पिछले साल केरल और तमिलनाडु के बेहतर कोविड-प्रबंधन के ढोल पीटे जा रहे थे। कोविड19 की इस दूसरी लहर से पहले दिल्ली, छत्तीसगढ़, असम और कर्नाटक अपनी पीठ थपथपा रहे थे।COVID 'swallowing' people in India as crematoriums overwhelmed | India News  | Al Jazeera

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बड़े संकट को न्योता

जानबूझ कर अपनी नाक बचाने के लिए कोविड19 से होने वाली मौतों के आँकड़ों को कम करके दिखाना भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए ख़तरनाक़ खेल साबित हो सकता है। महामारी से होने वाली हर मौत दुखदायी है। लेकिन उन के आँकड़े छिपा कर हम भविष्य में और भी बड़े संकट को न्योता दे रहे हैंHiding corona death as coronavirus spreades - Satyahindiप्राकृतिक विपदा या महामारी की गंभीरता के आयाम को देखकर ही उसका सामना करने के लिए पर्याप्त संसाधन और इच्छाशक्ति जुटाई जा सकती है। यदि कोरोना से होने वाली जनहानि और धनहानि के सही आयाम को छिपाया गया तो न भारत के लोग उसे उतनी गंभीरता से लेंगे और न दुनिया के लोग।COVID 'swallowing' people in India as crematoriums overwhelmed | India News  | Al Jazeera

यह सही है कि मरने वालों की सही संख्या और मौत के कारणों के सही आँकड़े छिपे नहीं रहेंगे, देर-सवेर सामने आ ही जाएँगे। क्योंकि लोगों को अपने-अपने कारणों से मरने वाले परिजनों की मौत कहीं न कहीं दर्ज करानी होगी और मौत के प्रमाणपत्र लेने होंगे।कोरोना: सरकारी आँकड़े नहीं, जलती चिताएँ बयां कर रही हैं कितना बड़ा है क़हर  - BBC News हिंदी

लेकिन इस देरी का असर मौजूदा और भावी संकट से निपटने के लिए ज़रूरी तत्परता पर पड़ सकता है। आशा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन और विश्व समुदाय भारत सरकार पर सही आँकड़ों का दबाव बढ़ाएगा।

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