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कोरोना वायरस की दूसरी लहर बेकाबू ,कोरोना मरीजों को बचाने के लिए ऑक्सीजन की किल्लत से जूझ रहे हैं कई राज्य

देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर बेकाबू हो गई है। महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच कई राज्य कोरोना मरीजों को बचाने के लिए ऑक्सीजन की किल्लत से जूझ रहे हैं। कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सीजन संजीवनी का काम रही है, लेकिन देश में ऑक्सीजन के संकट से मरीजों की जान पर आफत मंडराने लगी है। Coronavirus: वेटिंलेटर की कमी से जूझते अस्पतालों को मिलेगी राहत,  वैज्ञानिकों ने बनाई नई मशीन new discovery of breathing aid instead of  ventilator in coronavirus

ऑक्सीजन के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर हैं ये राज्य
जिन राज्यों में ऑक्सीजन का उत्पादन नहीं होता है, वे दूसरे राज्यों पर ऑक्सीजन के लिए निर्भर हैं। दिल्ली में ज्यादातर ऑक्सीजन हरियाणा से आता है। पंजाब भी हरियाणा से ही ऑक्सीजन लेता है। उत्तराखंड राजस्थान को ऑक्सीजन का सप्लाई करता है। मध्यप्रदेश राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से ऑक्सीजन खरीदता है। वहीं कर्नाटक आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को ऑक्सीजन सप्लाई करता है। भारत में एक दिन की ऑक्सीजन की मांग 2,000 मीट्रिक टन है। उत्पादन क्षमता 6,400 मीट्रिक टन है, लेकिन इसका उपयोग अन्य उद्योगों द्वारा भी किया जाता है। प्रतिदिन कोरोना के मामले बढ़ने से ऑक्सीजन की मांग भी बढ़ रही है।Corona Havoc: Oxygen Scarcity In The Country, Demand Continuously  Increasing, Price Almost Double

महाराष्ट्र में ऑक्सीजन की दैनिक मांग 700 मीट्रिक टन
महाराष्ट्र के जन स्वास्थ्य विभाग ने पिछले महीने ऑक्सीजन निर्माताओं को निर्देश दिया था कि वे अपने स्टॉक में से 80 फीसदी हिस्सा चिकित्सकीय उपयोग के लिए आपूर्ति करें जबकि बाकी 20 फीसदी औद्योगिक उद्देश्यों के लिए बनाए रखें।

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एक अधिकारी ने कहा कि महाराष्ट्र में ऑक्सीजन की दैनिक मांग 700 मीट्रिक टन हो गई है, जबकि राज्य की उत्पादन क्षमता 1200 मीट्रिक टन से अधिक है। यह नियम पूरे महाराष्ट्र में लागू होगा और 30 जून तक प्रभावी रहेगा। महाराष्ट्र में रोज मिल रहे हजारों की तादाद में नए कोरोना मरीजों से अस्पताल भरे पड़े हैं। राज्य के हॉटस्पॉट बन चुके शहरों खासकर मुंबई, पुणे, नासिक, नागपुर आदि के अस्पतालों में बेड लगभग फुल हो गए हैं। आईसीयू व वार्ड भरने के बाद गलियारों में बिस्तर लगाकर मरीजों की जान बचाने के उपाय किए जा रहे हैं। ऑक्सीजन की भी कमी होने लगी है। Coronavirus: वेटिंलेटर की कमी से जूझते अस्पतालों को मिलेगी राहत,  वैज्ञानिकों ने बनाई नई मशीन new discovery of breathing aid instead of  ventilator in coronavirus

दोगुनी हुई ऑक्सीजन सिलिंडर की कीमत
राज्य में जिन उद्योगों द्वारा ऑक्सीजन सिलिंडर का कच्चे माल की तरह इस्तेमाल होता है, उन पर 10 अप्रैल से रोक लगा दी गई है, ताकि यह मरीजों के लिए इस्तेमाल किया जाए। रविवार को जारी एक नोटिफिकेशन के मुताबिक, ऑक्सीजन सिलिंडर की कीमत दोगुनी होकर 360 रुपये तक पहुंच गई। अस्पतालों में इसकी जरूरतों को पूरा करने के लिए उद्योगों पर रोक लगाई गई है। इस बीच यदि उद्पादन के लिए ऑक्सीजन सिलिंडर का उस्तेमाल करना जरूरी होता है, तो लाइसेंसिंग अथॉरिटी से इसकी विशेष इजाजत लेनी होगी।कोरोना वायरस ने पंजाब में भी पसारे पैर, 45 हुई संक्रमित लोगों की संख्या -  corona virus covid 19 positive cases suspects list increased - AajTak

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि महाराष्ट्र के कई जिलों में आईसीयू बेड और ऑक्सीजन की भारी कमी हो गई है। ग्लोबल फाउंडेशन के अनुसार औरंगाबाद के अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलिंडरों की कमी हो गई है।

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इंदौर के संयंत्रों को केवल मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए पाबंद किया गया
मध्यप्रदेश में कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित इंदौर जिले के अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग चरम पर पहुंच गई है, इसके मद्देनजर प्रशासन ने जिले में स्थित सभी संयंत्रों से अन्य कारखानों को औद्योगिक ऑक्सीजन की आपूर्ति पर रोक लगा दी है और संयंत्र मालिकों को आदेश दिया है कि फिलहाल वे अपनी पूरी क्षमता से केवल मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन करें। जिलाधिकारी मनीष सिंह ने सोमवार को आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 और महामारी रोग अधिनियम 1897 के प्रावधानों के तहत इस बाबत आदेश जारी किया।पंजाब: बरनाला में कोरोना वायरस की संदिग्ध मरीज महिला की सैंपल लेने के बाद  मौत - woman suspected of coronavirus in barnala dies after taking sample

केंद्र सरकार ने की थी ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने की अपील
इसस पहले केंद्र सरकार ने सितंबर 2020 में महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, राजस्थान और मध्यप्रदेश से सभी स्वास्थ्य केंद्रों व अस्पतालों में पर्याप्त ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने की अपील की थी। साथ ही केंद्र ने कोरोना वायरस महामारी के चलते ऑक्सीजन सिलिंडरों के एक राज्य से दूसरे में जाने पर किसी तरह की बाधा नहीं आने की बात भी सुनिश्चित करने को भी कहा था।कोरोना काल में ऑक्सीजन की किल्लत वीडियो - हिन्दी न्यूज़ वीडियो एनडीटीवी ख़बर

गीन कॉरिडोर बनाने की भी अपील
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस मुद्दे पर राज्यों के साथ एक वर्चुअल बैठक की थी। इस बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव, सचिव डीपीआईआईटी और सचिव फार्मास्यूटिकल्स के अलावा इन सात बड़े राज्यों के स्वास्थ्य सचिव और उद्योग सचिव भी मौजूद रहे। इस ऑनलाइन मीटिंग के दौरान केंद्रीय रेलवे व वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भी शिरकत की। राज्यों से लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन टैंकरों को शहर में लाने के लिए गीन कॉरिडोर बनाने की भी अपील की गई।Coronavirus Live Updates India Records Highest Coronavirus In India  Narendra Modi Covid 19 Updates In Hindi - Coronavirus Live Updates: गुजरात  में पिछले 24 घंटे में सामने आए 520 नए मामले, 27
योगी आदित्यनाथ ने किया सबसे बड़े ऑक्सीजन संयंत्र का उद्घाटन
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अक्तूबर 2020 में राज्य के सबसे बड़े एवं अत्याधुनिक क्रायोजेनिक मोदीनगर ऑक्सीजन संयंत्र का उद्घाटन किया था, जिसकी मदद से अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद मिली। योगी आदित्यनाथ ने संयंत्र का उद्घाटन करते हुए कहा था कि बेहतर योजना के बावजूद कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौर में मांग के अनुरूप ऑक्सीजन की आपूर्ति एक चुनौती बनी हुई थी, मगर इस संयंत्र से बड़ी राहत मिलेगी। योगी ने ‘आईनॉक्स ग्रुप’ द्वारा लगाए गए संयंत्र का डिजिटल माध्यम से उद्घाटन करने के बाद बताया कि इस संयंत्र से रोजाना 150 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति होगी।NDTV Special : Watch NDTV Special Online, एनडीटीवी स्पेशल TV Show Live  Videos, News Videos | NDTVKhabar.com आईनॉक्स के ऑक्सीजन संयंत्र से मिलेगी राहत 
उन्होंने कहा कि इसमें 1,000 टन तरल ऑक्सीजन की भंडारण क्षमता भी विकसित की गई है, यानी उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत के अन्य राज्यों को अब तरल ऑक्सीजन के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कोरोना वायरस संकट में सरकार की अच्छी योजना की वजह से कहीं भी कोई समस्या नहीं आई, लेकिन इसके बावजूद मांग के अनुरूप समयबद्ध तरीके से ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करना एक चुनौती थी। ऐसे में आईनॉक्स के इस ऑक्सीजन संयंत्र से बड़ी राहत मिलेगी। 14,199 New Cases Of Corona Virus Have Been Reported - Coronavirus: बीते 24  घंटे में 14,199 नए मामले सामने आए, सं क्रमितों की संख्या 1.10 करोड़ के पार  | Patrika News

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प्रधानमंत्री ने 2018 में किया था ऑक्सीजन संयंत्र का शिलान्यास
योगी आदित्यनाथ ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2018 में सरकार द्वारा आयोजित समारोह में मोदीनगर ऑक्सीजन संयंत्र का शिलान्यास किया था। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘कोविड-19 ने हमें स्वास्थ्य संबंधी ढांचागत सुविधाओं को मजबूत करने के लिए आगाह भी किया है। उत्तर प्रदेश में अगर वही पुराना जर्जर ढांचा होता तो क्या स्थिति होती? उत्तर प्रदेश में कितनी मौतें होती, किस तरह की त्रासदी होती? लेकिन आज हम संकट में भी बेहतर परिणाम देने में सफल हुए हैं।’ In This Way The Corona Virus Is Spreading All Over The World - इस तरह  कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैल रहा, आवाजाही पर ब्रेक लगाकर हो सकती है  रोकथाम | Patrika News
बुंदेलखंड का पहला ऑक्सीजन प्लांट झांसी में शुरू
कोरोना की आपदा में झांसी समेत बुंदेलखंड ने ऑक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भर बनने का काम किया। झांसी के गोरामछिया में बुंदेलखंड का पहला ऑक्सीजन प्लांट शुरू हुआ। अमर उजाला की तरफ से ऑक्सीजन की कमी का मुद्दा उठाए जाने के बाद सरकारी मशीनरी ने इसके लिए कवायद शुरू की। अब इसका लाभ बुंदेलखंड समेत आसपास के जिलों को भी मिलेगा।Scientists From Singapore Developed A Unique Technique For Corona Test -  Singapore के वैज्ञानिकों ने बनाई अनोखी तकनीक, सांस के परीक्षण से पता चलेगा  कोरोना संक्रमण | Patrika News

गुजरात में बढ़ा वेंटिलेटर ने उत्पादन
सिर्फ ऑक्सीजन ही नहीं, देश में वेंटिलेटर की भी कमी हो रही है। देश में कोविड-19 की दूसरी लहर बढ़ने के साथ ही वेंटिलेटर की मांग फिर जोर पकड़ने लगी है और इसके चलते विनिर्माताओं ने इस जीवन रक्षक उपकरण का उत्पादन बढ़ा दिया है। इस उद्योग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए गुजरात में वेंटिलेटर विनिर्माता उत्पादन में तेजी ला रहे हैं।दुनिया में 48 लाख लोग संक्रमित, अमेरिका सबसे ज्यादा प्रभावित - Bihar News  Pratidin

वडोदरा स्थित मैक्स वेंटीलेटर के संस्थापक और सीईओ अशोक पटेल ने बताया कि, ‘कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की ताजा लहर के कारण वेंटिलेटर की मांग बढ़ रही है।’ उन्होंने कहा कि मौजूदा लहर में कुछ रोगियों पर गंभीर असर पड़ रहा है। इस लहर में, मरीजों को संक्रमण होने के पांच से छह दिनों के बाद वेंटिलेटर की जरूरत पड़ रही है, जबकि पहले वेंटीलेटर की आवश्यकता 10 से 15 दिनों के बाद होती थी।कोरोना से पिछले 24 घंटे में 11 हजार मौतें, अचानक कोरोना ने लिया विकराल  रूप... - DNP INDIA HINDI

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उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी ने उत्पादन को प्रति माह 400 वेंटिलेटर तक बढ़ाया है, जो इस साल के पहले दो महीनों के दौरान बहुत कम था। कंपनी की आईसीयू वेंटिलेटर बनाने की क्षमता मार्च 2020 में सिर्फ 20 यूनिट प्रति माह थी। अब इस क्षमता को बढ़ाकर 1,000 इकाई प्रति माह तक कर दिया गया है।

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