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महात्मा गांधी के 73वें पुण्यतिथि पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया नमन,आइए जानते हैं महात्मा गांधी की हत्या के कारण और गोडसे की पृष्ठभूमि

30 जनवरी 1948 का दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी आज बापू की पुण्यतिथि है जिस पर देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें नमन किया ,वही देश के बड़े नेताओं ने उन्हें याद करते हैं पूर्ण आत्मा को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की ,वहीं राहुल गांधी ने भी पुण्यतिथि पर महात्मा गांधी को पुष्प अर्पित करते हुए उन्हें नम आंखों से श्रद्धांजलि दी,आइए जानते हैं महात्मा गांधी के हत्या के पीछे नाथूराम गोडसे कि सामाजिक पारिवारिक पृष्ठभूमि और उनकी हत्या के कारणप्रभु श्रीराम जी का भक्त – पृष्ठ 7 – एक मचलता लेखक

30 जनवरी 1948 का दिन भारत के इतिहास का मनहूस दिन माना जाता है. इस दिन हम देशवासियों ने अपने राष्ट्रपिता को खो दिया था. महात्मा गांधी के सीने में गोली मार कर नाथूराम गोडसे ने उनकी हत्या कर दी थी. खुद को हिंदू राष्ट्रवाद का कट्टर समर्थक कहने वाले गोडसे को इस जुर्म में 15 नवंबर, 1949 को फांसी दी गई थी. आपको जानकर आश्‍चर्य हो सकता है कि नाथूराम गोडसे कभी गांधीजी का पक्का अनुयायी हुआ करता था.19 May Nathuram Godse born who killed mahatma gandhi read here about him-  गोडसे का आखिर कैसे पड़ा नाथूराम नाम? महात्मा गांधी के भक्त से हत्यारा बनने  तक की पूरी कहानी

फिर आखिर क्यों वह उनका सबसे बड़ा विरोधी हो गया? इसकी पृष्ठभूमि क्या रही होगी? महात्मा गांधी के सिद्धांतों पर, अहिंसा और शांति पर अध्ययनरत कुछ शोधार्थियों से इन्हीं बिंदुओं पर बातचीत के दौरान ऐसी कई बातें सामने आई, जो आपको भी सोचने पर मजबूर कर सकती हैं.

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नाथूराम की पारिवारिक और सामाजिक पृष्ठभूमि

नाथूराम का जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था. ब्रिटिश हुकूमत के दौरान वह हाई स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर आजादी की लड़ाई में कूद गया था. महात् गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय, वर्धा से समाजकार्य विभाग में पीएचडी कर चुके वरुण कुमार कहते हैं कि नाथूराम गोडसे और उसके भाइयों का आरएसएस से जुड़ाव भी बताया जाता है. हालांकि बाद में उसने ‘हिंदू राष्ट्रीय दल’ के नाम से अपना संगठन बना लिया था.गांधी की 150वीं जयंती पर आदर्श गांधी और विरोधाभाष | Mahatma Gandhi 150th  Birth Anniversary » Hindi News, हिंदी समाचार, Samachar, Breaking News,  Latest Khabar

यह जानकारी कम लोगों को ही है कि गोडसे की रुचि लेखन में भी थी और वह हिंदू राष्ट्र नाम से अपना अखबार भी निकालता था. अन्य अखबारों में भी उसके विचार और लेख प्रकाशित होते थे.नाथूराम गोडसे और गांधी के साथ हमेशा के लिए जुड़ गया ये नाम... - News Puran

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के ही एक अन्‍य शोधार्थी नरेश गौतम कहते हैं कि गोडसे शुरुआत में महात्मा गांधी का पक्का अनुयायी था. बापू ने जब सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया तो गोडसे ने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. हालांकि बाद में उसके दिमाग में यह बात घर कर गई कि महात्‍मा गांधी अपनी ‘आमरण अनशन’ नीति से हिंदू हितों की अनदेखी करते हैं. यहीं से वह बापू के खिलाफ हो गया.

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बापू की हत्‍या के पीछे कई सवाल!

गांधीजी की हत्या के पीछे कई तरह की बातें कही जाती रही हैं, लेकिन कई सवाल आज भी अनुत्‍तरित हैं. कोर्ट की कार्यवाहियों में भी बार-बार हत्या के कारणों का जिक्र किया गया, लेकिन हत्या के पीछे असल वजह क्या थी? कहीं किसी राजनीतिक पार्टी के इशारे पर तो ऐसा नहीं हुआ?

वरुण बताते हैं कि कई जगह इस बात का जिक्र है कि नाथूराम ने कई बार पहले भी गांधीजी की हत्या की कोशिश की थी, लेकिन कामयाब नहीं हुआ. आखिरकार 30 जनवरी को वह अपने नापाक मकसद में कामयाब हो ही गया.

देश विभाजन के लिए बापू को जिम्‍मेदार मानता था गोडसे

तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के गांधी विचार विभाग से महात्मा गांधी के सामाजिक योगदान पर शोध कर चुके डॉ. सत्यम बताते हैं कि नाथूराम गोडसे आजादी के बाद देश के विभाजन के लिए गांधीजी को ही जिम्मेदार मानता था. उसे लगता था कि महात्‍मा गांधी ने ही ब्रिटिश आलाकमान, मुसलमानों के बीच अपनी छवि बनाने के चक्कर में देश का बंटवारा होने दिया.

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उसका मानना था कि तत्कालीन सरकार बापू के ही दबाव में मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए ऐसा कर रही है. गोडसे इस बात पर भी टेंशन में रहता था कि कश्मीर समस्या के बावजूद जिन्ना ने गांधीजी के पाकिस्तान दौरे की सहमति दी. गांधीजी का मुस्लिमों के प्रति इस दया भाव से वह नफरत करता था. उसके मन में यह बात बैठ गई थी कि मुस्लिम की तुलना में गांधीजी को हिंदू भावनाओं की परवाह नहीं है.पहली बार बैंक नोट पर छपी थी तस्‍वीर,महात्मा गांधी की 100वीं सालगिरह पर मिला  था सबसे बड़ा सम्‍मान | The picture was printed on the bank note for the  first time, the

गांधी अच्‍छे साधु, लेकिन अच्‍छे राजनेता नहीं!

गोडसे ने एक बार गांधीजी के बारे में कहा था कि वह एक अच्‍छे साधु हो सकते हैं, लेकिन एक अच्छे राजनीतिज्ञ नहीं है. नरेश गौतम बताते हैं कि गांधीजी की हत्या के पीछे एक तर्क पाकिस्तान को दिए जाने वाले सरकारी कोष को लेकर भी दिया जाता है.

इसका जिक्र कुछ यूं मिलता है कि कांग्रेस पाकिस्तान को वादे के बावजूद 55 करोड़ रुपये नहीं देना चाहती थी, जबकि गांधीजी ने पाकिस्तान को पैसे देने के लिए आमरण अनशन करने की बात कह डाली. गोडसे को लगा कि गांधीजी मुस्लिमों को खुश करने के लिए ऐसा कर रहे हैं.

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गांधीजी की हत्या के बाद गोडसे को गिरफ्तार कर उस पर मुकदमा चलाया गया. 8 नवंबर, 1949 को उसका पंजाब हाई कोर्ट में ट्रायल हुआ और 15 नवंबर, 1949 को अंबाला जेल में उसे फांसी दे दी गई.

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