बिहार मे 243 सिटो के मतदान की प्रक्रिया खत्म हो गयी है, इंतज़ार बस नतीजों का है और नतीजों मे स्पष्ट बहुमत ने राजद गठबंधन की बेचैनी को बढा दिया है, सबसे ज्यादा कांग्रेस इस बात से डरी हुई है, तभी तो बहुमत के अंदेशा से पहले विधायकों को संभालने और एकजुट रखने की प्रक्रिया तेज हो गयी है, कांग्रेस को डर है की एनडीए उनके विधायकों को तोड़ सकती हैं उसे लेकर बैठको की कवायद तेज हो गयी है! कांग्रेस ने मतगणना के बाद विधायकों को एकजुट रखने के लिए दो वरिष्ठ नेताओं को पटना भेजा है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी महासचिव अविनाश पांडेय और रणदीप सिंह सुरजेवाला को पटना भेजा है. इन दोनों नेताओं को चुनाव नतीजों के ऐलान के बाद के हालात में प्रबंधन की जिम्मेदारी देकर भेजा गया है.!
सूत्रों के मुताबिक एग्जिट पोल में सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के बीच करीबी लड़ाई का अनुमान लगाया गया है. ऐसे में विरोधी खेमे की ओर से विधायकों की खरीद-फरोख्त के प्रयास किए जा सकते हैं. इसे देखते हुए दोनों नेताओं को पटना भेजा गया है. ये दोनों नेता बिहार में रहेंगे और गठबंधन सहयोगियों के साथ समन्वय बनाए रखेंगे.
महागठबंधन में आरजेडी के साथ ही कांग्रेस और वाम दल शामिल हैं, जबकि एनडीए में जेडीयू, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), जीतनराम मांझी की पार्टी हम, मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) हैं. लड़ाई करीबी रही और एनडीए बहुमत के लिए जरूरी 122 सीट के जादुई आंकड़े के करीब पहुंचता है तो ऐसे में विरोधी दल के खेमे में सेंध लगाने की कोशिश की जा सकती है. ऐसी स्थिति में कम सीटें जीतने वाली पार्टियां अधिक संवेदनशील हो जाएंगी.
इसे देखते हुए कांग्रेस पहले से ही सतर्क हो गई है. कांग्रेस ने अपने सभी उम्मीदवारों से साफ कह दिया है कि वे जीतने की स्थिति में विजय जुलूस में शामिल ना हों और प्रमाण पत्र प्राप्त कर सीधे पटना चले आएं. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस की योजना अपने सभी विधायकों को पटना के किसी होटल में रखने की है. गौरतलब है कि एग्जिट पोल के अनुमान यदि नतीजों में बदलते हैं तो महागठबंधन की सरकार बनना तय है.अब ये देखना दिलचस्प होगा की कांग्रेस की ये कोशिश कितनी रंग लाती हैं