निजी अस्पतालों के चमक और बेहतरीन पैकेज ने युवाओं को मेडीकल सेक्टर की ओर शुरू से ही लुभाया है, पर हर किसी के बस की बात मेडीकल नही हो पाती, इसी बीच हरियाणा सरकार के उठाये गये कदम जो मेडीकल शिक्षा की राह को आसान बना देते हैं गौरतलब है कि हरियाणा में अब सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 40 लाख में डॉक्टर तैयार होकर निकलेंगे। एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए 2020-21 के लिए सरकार ने अधिसूचना जारी की है। उसमें फीस का स्ट्रक्चर घोषित कर दिया है। पहले यह डॉक्टर सवा तीन से साढ़े तीन लाख में बन कर तैयार होते थे। नई नीति के तहत यह अभ्यर्थी पर निर्भर करता है कि वह सरकार के माध्यम से लोन लेना चाहता है या फिर अपने स्तर पर लोन से फीस देना चाहता है।
ऐसे में यदि अभ्यर्थी एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपनी इंटर्नशिप पूरी करके सरकारी नौकरी के लिए चयनित हो जाता है, तब सरकार उसके लोन की किस्तें भरेगी। जिसमें मूल और ब्याज सब शामिल होगा। लेकिन यह तब तक होगा जब तक वह सरकारी नौकरी में अपनी सेवा दे रहा है।
इसके लिए सरकार ने सात साल की शर्त रखी है। यदि अभ्यर्थी सात साल तक सरकार को सेवा देता है तो पॉलिसी के तहत अभ्यर्थी को 3 लाख 71 हजार 280 रुपये चार साल में अदा करने होंगे। यह रकम कोर्स की फीस के तहत लिए जाएंगे। जिसमें सालाना 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होगी।
इतनी फीस जमा करनी होगी
एमबीबीएस डिग्री फीस लोन
पहला साल 80,000 9,20,000
दूसरा साल 88,000 9,12,000
तीसरा साल 96,800 9,03,200
चौथा साल 1,06,480 8,93,520
कुल – 3,71,280 36,28,720
वर्तमान में यह है स्थिति
आम तौर पर अभी तक एक अभ्यर्थी को सालाना 53 हजार रुपये फीस देनी होती है। इसके अलावाव 15 से 20 हजार हॉस्टल की फीस होती है। बाकी मेस की फीस होती है जो कि बहुत ज्यादा नहीं होती है।
हालांकि सरकार ने इस पूरी पॉलिसी में सरकारी नौकरी देने की गारंटी कहीं नहीं ली है लेकिन नियमों से यह साफ है कि सरकार यह चाहती है कि निजी अस्पतालों में मोटे पैकेज लेने के बजाय चिकित्सक सरकार में रह कर कुछ दिन मरीजों की सेवा करें। अन्यथा हालात यह हैं कि डाक्टर रुकते नहीं है और निजी सेवाओं के लिए भाग जाते हैं। हरियाणा सरकार का ये कदम आज के युवाओं को लुभाने और सरकारी अस्पतालों मे सेवा दिलाने मे बेहद महत्वपूर्ण है