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प्रशासन ने गुटबाजी के बीच कश्मीर प्रेस क्लब को आवंटित परिसर वापस लिया

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सोमवार को कश्मीर प्रेस क्लब को आवंटित परिसर वापस ले लिया। घाटी स्थित पत्रकारों की सबसे बड़ी संस्था में पिछले हफ्ते की गुटबाजी के मद्देनजर प्रशासन ने यह कदम उठाया।

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके कहा, “पत्रकारों के विभिन्न समूहों के बीच असहमति और अप्रिय घटनाओं के बीच यह फैसला किया गया है कि श्रीनगर के पोलो व्यू स्थित कश्मीर प्रेस क्लब को आवंटित परिसर का आवंटन रद्द करके परिसर की भूमि और इस पर निर्मित भवन को एस्टेट विभाग को वापस कर दिया जाए।”

कश्मीर प्रेस क्लब को शनिवार को तब अनपेक्षित गतिविधियों का सामना करना पड़ा था जब कुछ पत्रकार पुलिस के साथ परिसर में पहुंचे और इसका ‘नया प्रबंधन’ होने का दावा किया। प्रशासन की ओर से एक दिन पहले इसके पंजीकरण को स्थगित करने के बाद इन पत्रकारों ने नए प्रबंधन का दावा किया। पत्रकारों ने मीडिया को बयान जारी किया कि च्कुछ पत्रकार फोरमज् ने उन्हें नया पदाधिकारी चयनित किया है, लेकिन घाटी के नौ पत्रकार संघों ने इस दावे का विरोध किया था।

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सरकार ने कहा कि वह उन अप्रिय घटनाओं के कारण उपजे हालात को लेकर चिंतित है, जिनमें वे दो विरोधी समूह भी शामिल हैं जो कश्मीर प्रेस क्लब के बैनर का इस्तेमाल कर रहे हैं। सरकार ने कहा, “तथ्यात्मक स्थिति यह है कि पंजीकृत संस्था के रूप में केपीसी का अब वजूद नहीं रहा और इसके प्रबंधकीय निकाय का भी कानूनी रूप से 14 जनवरी, 2021 को अंत हो चुका है। यह वही तारीख है जिस दिन इसका कार्यकाल समाप्त हुआ।”

सरकार की ओर से कहा गया, “यह संस्था केंद्रीय पंजीकरण सोसायटी अधिनियम के तहत खुद का पंजीकरण कराने में विफल रही, इसके बाद यह नए प्रबंध निकाय का गठन करने के लिए चुनाव कराने में विफल रही। पूर्ववर्ती क्लब के कुछ लोग कई तरह के अवैध काम कर रहे हैं, जिनमें यह झूठा चित्रण करना शामिल है कि वह एक निकाय के मालिक-प्रबंधक हैं, जिसका कि वैधानिक वजूद ही नहीं है।” सरकार ने बताया कि कुछ अन्य सदस्यों ने अंतरिम निकाय का गठन करने के बाद उसी तरह के बैनर का इस्तेमाल करते हुए ‘अधिग्रहण’ का सुझाव दिया। लेकिन सरकार ने कहा कि मूल केपीसी का पंजीकृत निकाय के रूप में अस्तित्व समाप्त हो गया है, इसलिए किसी भी अंतरिम निकाय के गठन का सवाल निरर्थक है। इन परिस्थितियों में तत्कालीन कश्मीर प्रेस क्लब के अधिकार का उपयोग करके किसी भी समूह द्वारा नोटिस जारी करना या संपर्क करना अवैध है।

सरकार की ओर से कहा गया, च्विवाद और सोशल मीडिया रिपोर्टों के मद्देनजर के अलावा कानून-व्यवस्था की स्थिति की ओर संकेत करने वाले अन्य स्रोतों के आधार पर हस्तक्षेप करना जरूरी हो गया। इसमें वास्तविक पत्रकारों की सुरक्षा का खतरा और शांति भंग होने का खतरा शमिल है।ज् सरकार ने कहा कि वह एक स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रेस के लिए प्रतिबद्ध है और मानती है कि पत्रकार पेशेवर, शैक्षिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, मनोरंजक और कल्याणकारी गतिविधियों के लिए जरूरी जगह हासिल करने समेत सभी तरह की सुविधाओं के हकदार हैं। सरकार ने उम्मीद जताई कि सभी पत्रकारों के लिए एक पंजीकृत वास्तविक सोसायटी का जल्द गठन किया जाएगा जो परिसर के पुन:आवंटन के लिए सरकार से संपर्क करने में सक्षम होगी।

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