नए कृषि कानून पर सरकार अपने दावों से पीछे हटने को तैयार नहीं है ,तो वही किसान भी अपनी मांगों को लेकर उड़े हुए हैं !अनेकों किसान संगठन द्वारा सिंधु टिकरी बॉर्डर सहित दिल्ली, पंजाब, हरियाणा से सटे जितने भी रास्ते हैं , सब को जाम कर सिर्फ एक ही मांग हो रही है कि कृषि कानून रद्द करें , जिस कृषि क़ानून को लेकर सरकार और किसानों में गतिरोध बना हुआ है !आज उसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है ! जब किसानों और सरकार के बीच में बात बनती नहीं दिखे तो देश की सर्वोच्च अदालत ने मोर्चा संभालना उचित समझा हालांकि किसी प्रकार की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में तो दायर नहीं हुई लेकिन रास्तों के अवरोध ने सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करने को मजबूर कर दिया! केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 22वें दिन में प्रवेश कर चुका है. किसान दिल्ली बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं. किसानों के तेवर से लग रहा है कि आंदोलन लंबा चलने वाला है. उनकी मांग है कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले. किसान कहते हैं कि सरकार जिस दिन तीनों कानून वापस ले लेगी, हम आंदोलन समाप्त कर देंगे.
सरकार तो झुकने को तैयार नहीं है और ऐसे में किसान भी डटे रहेंगे. वहीं, जिस कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों में गतिरोध बना हुआ है, उसी के खिलाफ आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है. DMK के तिरुचि सिवा, आरजेडी के मनोज झा और छत्तीसगढ़ कांग्रेस के राकेश वैष्णव की अर्जी पर अदालत सुनवाई करेगी. इनकी मांग है कि कृषि कानूनों को रद्द किया जाए.
इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के आंदोलन को लेकर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर सरकार और किसानों के बीच समझौता कराने की पहल की है जिसके लिए कमेटी का गठन किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को फिर इस पर फिर सुनवाई होनी है.
सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा कि ये राष्ट्रीय स्तर का मसला है, ऐसे में इसमें आपसी सहमति होनी जरूरी है. अदालत की ओर से दिल्ली की सीमाओं और देश के अन्य हिस्सों में प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों की लिस्ट मांगी गई, जिससे पता चल सके कि बात किससे होनी है.!
अदालत ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों से ऐसा लगता है कि सरकार-किसान के बीच सीधे तौर पर इसका कोई हल नहीं निकल रहा है. सरकार-किसानों के बीच हुई बातचीत से कोई हल ना निकलते देख सुप्रीम कोर्ट ने कमान अपने हाथ में ली है. अब गुरुवार को होने वाली सुनवाई में साफ होगा कि अदालत जो कमेटी बना रही है, उसकी रूप-रेखा क्या होगी और वो किस तरह इस मसले को सुलझाने की ओर कदम बढ़ाएगी.
अदालत ने कहा बुधवार को कहा कि कि वो किसान संगठनों का पक्ष सुनेंगे, साथ ही सरकार से पूछा कि अब तक समझौता क्यों नहीं हुआ. अदालत की ओर से अब किसान संगठनों को नोटिस दिया गया है. कोर्ट का कहना है कि ऐसे मुद्दों पर जल्द से जल्द समझौता होना चाहिए.
बुधवार को जिन याचिकाओं पर सुनवाई हुई, उनमें अधिकतर जनहित याचिकाएं थीं. जिनमें किसान संगठन पार्टी नहीं थे. याचिकाओं में प्रदर्शन के कारण सड़कें बंद होना, कोरोना का संकट होना और प्रदर्शन के अधिकार को लेकर सवाल किए गए थे.