बिहार की राजनीति में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बढ़ती रुचि से कई सवाल उठ रहे है. अमित शाह ने महाराष्ट्र में महायुति की सरकार बनने के बाद दिसंबर 2024 में कहा था कि अगला सीएम कौन होगा, इसका फैसला संसदीय बोर्ड करेगा. अब उन्होंने कहा है कि चुनाव करीब आते ही वे बिहार में डेरा डालेंगे. पहली बार शाह के बयान पर बिहार की राजनीति में बखेड़ा खड़ा हो गया था. इस बार उनके बयान को लेकर कोई फुसफुसाहट नहीं दिख रही. बिहार में एनडीए के प्रमुख घटक जेडीयू के नेता भी नहीं समझ पा रहे हैं कि भाजपा के मन में क्या चल रहा है. भाजपा के नेता अमित शाह की डेरा डालने की घोषणा से काफी उत्साहित हैं तो जेडीयू में मौन सहमति की खामोशी है
अमित शाह ने बिहार में डेरा डालने की बात भी ऐसे मौके पर कही, जहां जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा भी मौजूद थे. गुजरात में शाश्वत मिथिला समारोह में पहुंचे अमित शाह ने कहा कि वे अब बिहार में डेरा डालेंगे. इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि अयोध्या में तो राम मंदिर बन गया, अब मिथिला में माता सीता का मंदिर भी बनेगा.
तीन महीने के अंदर अमित शाह का बिहार के संदर्भ में यह दूसरा बयान है. पहली बार उन्होंने एनडीए के सीएम फेस को लेकर जब बयान दिया तो इसे लेकर जेडीयू के लोगों में नाराजगी दिखी थी. सीएम नीतीश कुमार की उस बयान के बाद चुप्पी से भी सस्पेंस बढ़ा. कयास लगने लगे कि इससे खफा नीतीश कुमार महागठबंधन का रुख कर सकते हैं. पर, नीतीश ने तकरीबन पखवाड़े भर बाद चुप्पी तोड़ी और कहा कि वे अब आरजेडी के साथ जाने की गलती वे दोबारा नहीं करेंगे
अमित शाह को भाजपा का चुनावी रणनीतिकार कहा जाता है. राज्यों में भाजपा की लगातार होती रही जीत के पीछे शाह की रणनीति ही अधिक रही है. याद करें, उत्तर प्रदेश में 2017 का विधानसभा चुनाव. अमित शाह को उत्तर प्रदेश चुनाव की जिम्मेवारी दी गई थी. तकरीबन दो साल पहले उन्होंने वहां डेरा जमा लिया था. बूथ स्तर का उनका चुनावी मैनेजमेंट काफी असरदार रहा. यूपी में भाजपा की सरकार बन गई. अब बिहार में वे डेरा डालते हैं तो इसका मायने समझा जा सकता है.