पटना. उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने एक बार फिर अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल (Rashtriya Lok Janata Dal) के गठन की घोषणा कर दी है. वे इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी मनोनीत किए गए हैं. उन्हें नई पार्टी के सभी बड़े फैसले लेने के लिए अधिकृत किया गया है. हालांकि, इससे साथ ही एक तथ्य भी फिर सामने आ गया है कि नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा दोनों ही अचानक अपना मन परिवर्तन करते हैं और राजनीतिक रूप से चौंका देते हैं. इस बार जदयू छोड़ने और नई पार्टी बनाने की घोषणा करने के बाद वर्ष 2002 से अब तक उपेंद्र कुशवाहा 8वीं बार राजनीतिक पाला बदल चुके हैं.
उपेंद्र कुशवाहा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत वर्ष 1985 से की है. इस बार नई पार्टी बनाने से पहले उपेंद्र कुशवाहा पिछले 15 सालों में 7 बार पलटी मार चुके हैं. मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे कुशवाहा 2 बार अपनी पार्टी भी बना चुके हैं. अब इस बार उन्होंने तीसरी बार नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल बनाई है. आइये देखते हैं कि कुशवाहा ने कब कब पाला बदला है.
वर्ष 2007- बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे उपेंद्र कुशवाहा ने 2007 में पहली बार जेडीयू से बगावत कर दी थी. कुशवाहा के बगावती तेवर को देखते हुए जेडीयू ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया. कुशवाहा इसके बाद खुद की राष्ट्रीय समता पार्टी बनाई.
वर्ष 2009- लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने फिर से पाला बदला और नीतीश कुमार से जाकर मिल गए. इस बार नीतीश कुमार ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया.
वर्ष 2013- जेडीयू और बीजेपी में तनातनी के बीच उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश को झटका देने के लिए फिर से पार्टी छोड़ दी. इस बार उन्होंने फिर से अपनी खुद की नई पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी बनाई.
वर्ष 2014- उपेंद्र कुशवाहा ने बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया और लोकसभा में 4 सीटों पर उम्मीदवार उतारे. हालांकि, एक सीट डमी के तौर पर उनको मिला था. कुशवाहा बिहार में 3 सीट जीतने में कामयाब रहे. इसके बाद उन्हें मोदी कैबिनेट में मंत्री बनाया गया.
वर्ष 2018- मोदी सरकार से जातीय जनगणना आदि मुद्दे पर विरोध के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया. कुशवाहा एनडीए छोड़ राजद-कांग्रेस के नेतृत्व वाली महागठबंधन में शामिल हो गए.
वर्ष 2019- लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने महागठबंधन का साथ छोड़ दिया. उन्होंने बसपा और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के साथ मिलकर तीसरा मोर्चा बनाया.
वर्ष 2020- बिहार चुनाव में तीसरा मोर्चा भी पूरी तरह फेल हो गया. उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली, जिसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी का जेडीयू में विलय कर लिया.
इस बार जदयू छोड़ने के बाद उन्होंने 8वीं बार पलटी मारी है और नई पार्टी का गठन कर लिया है. बता दें कि उपेंद्र कुशवाहा लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधानपरिषद् यानी चारों सदन के सदस्य रहे हैं. 2000-2005 तक वे विधानससभा के सदस्य रहे हैं.
2010-2013 तक राज्यसभा, 2014-2019 तक लोकसभा और 2021 से लेकर अब तक विधानपरिषद् के सदस्य हैं. कुशवाहा 2004 में बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बने. इससे पहले वे उपनेता प्रतिपक्ष के पद पर थे. 2014 में केंद्र में कुशवाहा राज्य मंत्री बनाए गए.