पटना. बिहार विधान परिषद चुनाव को लेकर प्रदेश की सियासत लगातार गर्माती जा रही है. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) पहले ही अपने तीन उम्मीदवारों की घोषणा कर माले और कांग्रेस की नाराजगी बढ़ा दी है. मगर अब कांग्रेस ने नया दांव चल कर इस लड़ाई को दिलचस्प मोड़ पर ला दिया है. पार्टी के प्रवक्ता असितनाथ तिवारी ने दावा करते हुए कहा कि दूसरे दलों के 15 से 16 विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं. कांग्रेस विधान परिषद के चुनाव में क्रॉस वोटिंग के लिए कोई कोशिश नहीं करेगी, मगर अगर विधायक अंतरात्मा की आवाज पर क्रॉस वोटिंग करते हैं तो यह लोकतांत्रिक अधिकार है. ऐसे समय में कांग्रेस अलग उम्मीदवार खड़े करेगी. कांग्रेस का एक विधायक चुनकर विधान परिषद में जा जकता है.
कांग्रेस ने दावा करते हुए एक उम्मीदवार उतारने की बात कर भले ही सियासत गर्मा दिया हो, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर जीत के लिए जरूरी 31 विधायकों का समर्थन कहां से आएगा. दरअसल विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 19 है. विधान परिषद चुनाव में एक सीट पर जीत के लिए उसे 31 विधायकों की जरूरत होगी. ऐसे में शेष 12 विधायकों की जरूरत कांग्रेस को होगी. आरजेडी के तीन उम्मीदवार उतारने के बाद माले और कांग्रेस में इस बात को लेकर नाराजगी है कि आरजेडी ने सहयोगी दलों की राय लिए बिना अपने उम्मीदवार घोषित कर दिये.
हालांकि माले ने आरजेडी उम्मीदवारों के नामांकन में शामिल होकर एकजुटता साबित करने का प्रयास किया है. ऐसे में आरजेडी के तीसरे उम्मीदवार की जीत का दावा ज्यादा पुख्ता हो जाता है. वहीं, कांग्रेस, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) और AIMIM के भरोसे मैदान में अपना उम्मीदवार उतारने का दांव खेलना चाहती है. हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री और हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी के एनडीए गठबंधन में घुटन महसूस करने वाले बयान से कांग्रेस को उम्मीद जगी है. ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस की उम्मीद हकीकत में बदलती है या फिर उसके दावे हवा-हवाई ही साबित होते हैं.