बिहार में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले वैसे लोगों को जिनके पास घर बनाने के लिए जमीन नहीं है उनको चिन्हित कर बिहार सरकार तीन डिसमिल जमीन की व्यवस्था करने जा रही है. ऐसे लोगों को चिन्हित भी कर लिया गया है. इस योजना का फायदा बिहार सरकार अनुसूचित जाति, पिछड़े एंव अति पिछड़ा वर्ग के वैसे लोगों को दिया जाएगा जिनके पास घर बनाने के लिए जमीन नहीं है. ऐसे लोगों को ही सरकारी स्तर पर जमीन मुहैया करायी जाएगी.
सरकार ने इसके लिए सर्वे कराया था और एक सूची भी बनाई थी. जिनका नाम वित्तीय वर्ष 2021-22 में शामिल हुआ था लेकिन उन्हें जमीन नहीं मिल पाई थी लेकिन अब उन्हें ही इसका फायदा मिलेगा. इस योजना के तहत सूची में शामिल एक परिवार को तीन डिसमिल जमीन देने की योजना का प्रावधान सरकार की तरफ से है. जाहिर है जमीन लेने वालों की संख्या ज़्यादा है इसलिए जमीन की जरूरत भी ज्यादा पड़ेगी, इसलिए सरकार बिहार में वैसे जमीन को देने की कोशिश कर रही है जो जमीन गैर मजरुआ, सीलिंग या फिर भू-दान की जमीन हैं. उसी जमीन में ऐसे परिवारवालों को बसाया जाएगा. अगर ऐसी जमीन नहीं मिलती है तो बिहार सरकार खुद से जमीन खरीद कर ऐसे परिवार वालों को देगी. एक अनुमान के मुताबिक तीन डिसमिल जमीन पर सरकार ज्यादा से ज्यादा 60 हजार रुपया तक खर्च करेगी.
बिहार के राजस्व-भूमि सुधार मंत्री राम सूरत राय कहते हैं कि सरकार की कोशिश है की कोई भी बिहार में बिना छत के ना रहे है और इसी कड़ी में सरकार ने ये फैसला किया है और इसके लिए राजस्व भूमि सुधार विभाग तैयारी में जोर शोर से जुट गया है. राम सूरत राय कहते हैं कि सर्वे के मुताबिक पिछले वित्तीय वर्ष में ऐसे पिछड़े वर्ग के परिवार वालों की संख्या लगभग 10165 थी और अति पिछड़ा वर्ग के 18778 परिवार थे जिनके पास आवास के लिए जमीन नहीं थी.