बहुत सारे लोगो ने अलग अलग नामों से पार्टियों का रजिस्ट्रेशन करा रखा था अब उनके लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है, उत्तर प्रदेश सहित देश में ऐसी अनेक राजनीतिक पार्टियां हैं, जो केवल कागजों में हैं और जिन्होंने चुनाव आयोग से पंजीकरण के बाद आज तक कोई चुनाव नहीं लड़ा है, जबकि चुनावी चंदे और अन्य प्रकार के करों में छूट हासिल कर रही हैं. यदि कानून मंत्रालय से अधिकार मिल जाता है तो निर्वाचन आयोग वैसे राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करेगा. इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव से पहले हो सकती है.
इंडिया टुडे पोर्टल पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय से उन राजनीतिक दलों के पंजीकरण रद्द करने का अधिकार देने की मांग की है, जिन्होंने पिछले कई सालों से चुनाव ही नहीं लड़ रहे हैं. उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में होने वाले चुनावों के मद्देनजर आयोग ऐसे दलों के आंकड़े इकट्ठा कर रहा है और विभिन्न दलों के आंकड़ों का अध्ययन कर रहा है. अपने ही आंकड़ों के खंगालने के बाद आयोग को 2,700 ऐसी पार्टियों का पता चला है जो पंजीकृत तो हैं, लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त हैं. ये सभी पार्टियां चंदे पर टैक्स छूट का फायदा उठा रही हैं. जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 29बी और सी पार्टियों को स्वैच्छिक चंदा प्राप्त करने की अनुमति देती है, लेकिन पार्टियों को 20,000 रुपये से अधिक के प्रत्येक चंदे की रिपोर्ट आयोग को सौंपना होता है. पार्टियों को आयकर अधिनियम की धारा 13ए के तहत कर से छूट प्राप्त है.
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चुनाव आयोग का मानना है कि कई पार्टियां हवाला और मनी लॉण्ड्रिंग में शामिल हो सकती हैं, क्योंकि उन्हें विभिन्न अधिनियमों के तहत आय का खुलासा करने की आवश्यकता नहीं है. आयोग के सूत्रों ने बताया कि कानून मंत्रालय के जल्द ही उसके अनुरोध पर फैसला लेने की उम्मीद है. सूत्रों का कहना है कि चुनाव आयोग के अनुरोध पर कानून मंत्री किरण रिजिजू से चर्चा की गई है. उत्तर प्रदेश में पंजीकृत कई पार्टियां इसी श्रेणी में आती हैं और वे, खासकर राज्य में होने वाले चुनावों को ध्यान में रखकर करोड़ों रुपये बटोर रही हैं.
चुनाव आयोग कानून मंत्रालय के साथ अपनी बैठक में इस मामले पर विचार को तैयार है. आयोग संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत पार्टियों को सूची से हटाता रहा है, लेकिन अब वह ऐसी शक्ति चाहता है कि वह ऐसी पार्टियों को न केवल सूची से हटाए बल्कि निष्क्रिय पार्टियों का पंजीकरण रद्द कर सके