बटाला को अलग जिला बनाने की मांग पंजाब में जोर पकड़ रही है जिसको लेकर कैप्टन के दो मंत्रियों ने मिलने का समय माँगा हालांकि दोनों मंत्रियों ने यह मांग बटाला को जिला बनाने और उसके विकास के मुद्दों पर चर्चा के लिए की है, लेकिन ऐसा पहली बार है कि कैबिनेट मंत्रियों द्वारा मुख्यमंत्री से मिलने के लिए समय मांगा गया है। अब तक सभी मंत्री मुख्यमंत्री को उनके आवास पर मिलने के लिए बिना किसी रोक-टोक के पहुंचते रहे हैं।
दोनों सीनियर कैबिनेट मंत्रियों तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और सुखजिंदर सिंह रंधावा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि ऐतिहासिक और विरासती शहर बटाला को राज्य का 24वां जिला बनाया जाए ताकि इस अहम शहर का उपयुक्त विकास हो सके। दोनों मंत्रियों ने यह भी मांग की कि इसके साथ ही ऐतिहासिक कस्बों फतेहगढ़ चूड़ियां और श्री हरगोबिंदपुर या घुमाण को इस नए जिले की नई सब-डिवीजन बनाया जाए।
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मुख्यमंत्री को इस संबंधी में लिखे पत्र में दोनों मंत्रियों ने कहा है कि बटाला पंजाब का वह अहम शहर है जिससे हमारी समृद्ध ऐतिहासिक, धार्मिक, सामाजिक और साहित्यिक विरासत जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि बठिंडा के बाद बटाला पंजाब का सबसे पुराना शहर है, जिसकी स्थापना 1465 में की गई थी। जनसंख्या के पक्ष से भी यह पंजाब का आठवां सबसे बड़ा शहर है, जहां पिछले साल नगर निगम भी बनाई गई है। बाजवा और रंधावा ने इस अहम मामले पर विचार-विमर्श के लिए मुख्यमंत्री से समय मांगा है।
बटाला में हुआ था श्री गुरु नानक देव जी का विवाह
बटाला शहर के इतिहास के बारे में मंत्रियों ने कहा कि पहली पातशाही श्री गुरु नानक देव जी का विवाह इसी शहर में माता सुलक्खनी जी के साथ 8 जुलाई 1487 में हुआ था। उनकी याद में यहां गुरुद्वारा डेरा साहिब और गुरुद्वारा कंध साहिब सुशोभित हैं। छठे गुरु श्री गुरु हरगोबिंद जी अपने पुत्र बाबा गुरदित्ता जी का विवाह करने के लिए भी बटाला ही आए थे और उनकी याद में शहर के बीच गुरुद्वारा सत करतारिया सुशोभित है।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि महाराजा रणजीत सिंह के राज के दौरान लाहौर और अमृतसर के बाद बटाला सिख राज का एक अहम शहर था। इस राज के समय की विरासती इमारतें आज भी मौजूद हैं, जिनमें महाराजा शेर सिंह का महल और जल महल (बारांदरी) विशेष हैं। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक काली द्वारा मंदिर और सती लक्ष्मी देवी समाधि के अलावा इस शहर के नजदीक ही अचल साहिब का वह ऐतिहासिक स्थान है, जहां भगवान शिव जी के पुत्र देवता कार्तिकेय की याद में अचलेश्वर धाम सुशोभित है। अचल साहिब जी के स्थान पर ही श्री गुरु नानक देव जी ने सिद्धों के साथ बातचीत की थी।
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