LJP के राजनितिक झगडे के बीच चिराग पासवान ने एक बड़ा खुलासा किया है,कि बिहार विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला उन्होंने बीजेपी के साथ चर्चा के बाद लिया था. हालांकि उस वक्त उनके इस फैसले को लेकर पार्टी के अंदर मतभेद था
बता दें कि एनडीए से अलग होकर एलजेपी का चुनाव लड़ना खासतौर पर चिराग के चाचा और सांसद पशुपति कुमार पारस समेत कुछ नेताओं को पंसद नहीं था. हालांकि उस वक्त भी पशुपति ने साफ तौर पर कहा था कि यह चिराग का सबसे खराब निर्णय है. सूत्रों की मानें तो यहीं से चाचा और भतीजे के बीच दरार बढ़ गई थी. जबकि मौजूदा घटनाक्रम इस बात का नतीजा है
चिराग ने किया ये खुलासा
बहरहाल, चिराग पासवान ने बिहार विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा, ‘ फैसले के बाबत बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष को बैठक के दौरान बताया गया था कि सिर्फ 15 सीटों पर एलजेपी का बिहार विधानसभा चुनाव में उतरना संभव नहीं है
चिराग का छलका दर्द
द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में चिराग पासवान ने कहा कि बीजेपी के साथ मैंने बैठक में साफ कर दिया था कि अगर आने वाली सरकार में एलजेपी के एजेंडे को कोई तरजीह नहीं मिलेगी तो गठबंधन में बने रहने का कोई सवाल ही नहीं है. इसके साथ उन्होंने कहा कि वह एनडीए के साथ 2014 से थे और तब जेडीयू का कुछ अता पता नहीं था. यही नहीं, हम बीजेपी के खिलाफ सिर्फ छह सीट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन जेडीयू के खिलाफ पूरा दम लगाया था. इस इंटव्यू के दौरान चिराग ने साफ कहा,’ चुनाव से पहले बीजेपी की तरफ से कहा गया था कि चुनाव के दौरान या इसके बाद दोनों दलों के बीच कोई कड़वाहट नहीं रहेगी. वहीं, मैंने कहा था कि मेरा भरोसा आप (बीजेपी) पर है, नीतीश कुमार पर नहीं. हालांकि मुझे चुनाव के दौरान बीजेपी के कुछ नेताओं ने वोट कटवा कहा तो काफी परेशानी हुई थी
पीएम पर भरोसा कायम
बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान बेशक भाजपा नेताओं ने चिराग पासवान को लेकर बयानबाजी की थी, लेकिन उन्होंने पीएम मोदी और बीजेपी केा लेकर कोई तल्ख टिप्पणी नहीं की थी. इसके अलावा चिराग ने कहा कि मैं और मेरे पिता रामविलास पासवान पीएम मोदी और बीजेपी के साथ हमेशा खड़े रहे, लेकिन कठिन समय में भगवा दल ने उनका साथ नहीं दिया. हालांकि उन्होंने एक बार फिर पीएम मोदी पर अपना भरोसा कायम होने की बात की है. इसके साथ उन्होंने कहा कि मौजूदा वक्त में बीजेपी की चुप्पी उन्हें परेशान करती है और अब बीजेपी से रिश्ते एकतरफा नहीं रह सकते हैं. जबकि जेडीयू ने एलजेपी को बांटने का काम पूरी मुस्तैदी से किया है.