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बच्चों को दिए जाने वाला मां का दूध अब तैयार होगा लैब में जानिए कब आएगा बाजार में

बच्चों को पीने के लिए अब तक मां का दूध सर्वोत्तम होता था लेकिन जिस प्रकार महिलाओं में दूध की बनाने की क्षमता में कमी आई है उसे देखते हुए और लैब में मां का दूध बनाने की तैयारी हो रही है,ऐसे लोगों के लिए राहत भरी एक अच्छी खबर है. तकनीक ने इस हद तक प्रगति कर ली है कि ब्रेस्ट मिल्क अब प्रयोगशाला यानी कि साइंस लैब में तैयार किया जा सकेगा. इस दूध में ब्रेस्ट मिल्क की तरह ही पोषक तत्व भरे होंगे.नाक में दिए जाने वाला कोविड-19 टीका बच्चों को देने में आसान होगा: एम्स निदेशक | Covid19 vaccine given in the nose will be easier to give to children AIIMS Director
इस सिलसिले में अमेरिका की महिला वैज्ञानिकों ने दुनिया में पहली बार प्रयोग किया है. इसके तहत अब मां के दूध की तरह की पौष्टिक दूध लैब में तैयार किया जा सकेगा. वैज्ञानिकों ने इसे ‘बॉयोमिल्‍क’ कहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस सिलसिले में बात करते हुए वैज्ञानिकों ने बताया कि बॉयोमिल्‍क में मौजूद पोषक तत्वों की लैब टेस्टिंग भी की गई है. बॉयोमिल्‍क में मां के दूध की तरह ही पोषक तत्व, प्रोटीन, फैटी एस‍िड और अन्‍य वसा पर्याप्त मात्रा में रहे, ये कोशिशें की कई हैं. हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि दूध में मौजूद पोषक तत्व ब्रेस्ट मिल्क से अधिक हैं.नवजात बच्चों के लिए लैब में तैयार हुआ 'मां का दूध', बाजार में बिकने के लिए तैयार » Sarkari Manthan

बॉयोमिल्‍क को बनाने वाली कंपनी की सह संस्‍थापक और मुख्‍य विज्ञान अधिकारी लैला स्ट्रिकलैंड ने इस विषय में बात करते हुए कहा कि दूध में एंटीबॉडी भले ही मौजूद नहीं है लेकिन बायोमिल्क की न्यूट्रीशनल और बायोएक्टिव कम्पोजीशन किसी भी अन्य प्रोडक्ट के मुकाबले अधिक ही हैं. लैला स्ट्रिकलैंड ने बताया कि बायोमिल्क बनाने का आइडिया उन्हें तब आया जब उनका बेबी समय से पहले ही पैदा हो गया था.

तब तक उनके शरीर में ब्रेस्ट मिल्क बनना शुरू नहीं हुआ था. ऐसे में अपने बच्चे को फीडिंग कराने के लिए उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा. उन्होंने इस बारे में कई कोशिशें किन लेकिन सारी कोशिशें बेकार गईं और नतीजा सिफर रहा

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स्तनपान कराने से बिगड़ती है मां की सेहत? - BBC News हिंदी . इसी से प्रेरित होकर उन्होंने साल 2013 में प्रयोगशाला के अंदर मेमरी कोशिकाओं को पैदा करना शुरू किया. इसके बाद वर्ष 2019 में उन्‍होंने फूड विज्ञानी मिशेल इग्‍गेर को भी साथ लिया और इस प्रयोग को अंजाम दिया. वैज्ञानिकों का कहना है कि तीन सालों में यह दूध बाजार में उपलब्ध हो सकेगा.

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