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JNU मे स्वामी विवेकानंद की मूर्ति का अनावरण, पीएम ने कहाँ प्रतिमा राष्ट्र प्रेम सिखाएगी

  • राष्ट्र प्रेम का संदेश देगी यह प्रतिमा
  • पंडीत नेहरू से 3 फीट ऊंची है प्रतिमा
  • संबोधन मे आत्मनिर्भर भारत की चर्चा

 

जवाहर लाल यूनिवर्सिटी मे आज स्वामी विवेकानंद जी के मुर्ती का अनावरण प्रधानमंत्री मोदी द्वारा विडीओ कन्फ्रेंसिंग के जरिये किया गया, जेएनयू मे अनावरित मूर्ती पंडीत जवाहरलाल नेहरू की प्रतिमा से लगभग 3 फिट ऊंची बनाई गयी है, अनावरण के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने जेएनयू सहीत देश के नाम संदेश देते हुए कहें की मैं जेएनयू प्रशासन, सभी शिक्षकों और छात्रों को इस अवसर पर बहुत बधाई देता हूं. साथियों स्वामी विवेकानंद जी कहते थे कि मूर्ति में आस्था का रहस्य ये है कि आप उस एक चीज से विजन ऑफ डिगिनिटी विकसित करते हैं.

पीएम मोदी ने आगे कहा कि मेरी कामना है कि जेएनयू में लगी स्वामी जी की ये प्रतिमा सभी को प्रेरिक करे और ऊर्जा से भरे. ये प्रतिमा वो साहस दे, करेज दे, जिसे स्वामी विवेकानंद जी प्रत्येक व्यक्ति में देखना चाहते थे. ये प्रतिमा वो करुणा भाव सिखाए, कंपेसन सिखाए जो स्वामी जी के दर्शन का मुख्य आधार है. ये प्रतिमा हमें राष्ट्र के प्रति अगाध समर्पण सिखाए, प्रेम सिखाए जो स्वामी जी के जीवन का सर्वोच्च संदेश है. ये प्रतिमा देश को विजन वननेस के लिए प्रेरित करे जो स्वामी जी के चिंतन की प्रेरणा रहा है.

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पीएम मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि ये प्रतिमा देश को यूथ लेड डवलपमेंट के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे जो स्वामी जी की अपेक्षा रही है. ये प्रतिमा हमें स्वामी जी के सशक्त, समृद्ध भारत के सपने को साकार करने की प्रेरणा देती रहे. साथियो ये सिर्फ एक प्रतिमा नहीं है बल्कि ये उस विचार की ऊंचाई का प्रतीक है जिसके बल पर एक सन्यासी ने पूरी दुनिया को भारत का परिचय दिया. उनके पास वेदांत का अगाध ज्ञान था, उनके पास एक विजन था. वो जानते थे कि भारत दुनिया को क्या दे सकता है. वो भारत के विश्व बंधुत्व के संदेश को लेकर दुनिया में गए. उन्होंने भारत की परंपराओं को गौरवपूर्ण तरीके से दुनिया के सामने रखा.

स्वामी विवेकानंद का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जब हम गुलामी के बोझ के तले दबे हुए थे तब स्वामी जी ने अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी में कहा था कि यह शताब्दी आपकी है लेकिन 21वीं शताब्दी निश्चित ही भारत की होगी. पिछली शताब्दी में उनके शब्द सही निकले हैं. इस शताब्दी में उनके शब्द सही करने का दायित्व हमारा है. भारतीयों के उसी आत्मविश्वास और जज्बे को ये प्रतिमा समेटे हुए है. ये प्रतिमा उस ज्योतिपुंज का दर्शन है जिसने गुलामी के लंबे कालखंड में खुद को अपने सामर्थ्य को, अपनी पहचान को भूल रहे भारत को जगाया था और भारत में नई चेतना का संचार किया था.

आत्मनिर्भर भारत पर चर्चा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज देश आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य और संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है. आज आत्मनिर्भर भारत का विचार 130 करोड़ भारतीयों के इंस्पीरेशन का हिस्सा बन चुका है. आत्मनिर्भर का दायरा काफी व्यापक है, उसमें ऊंचाई भी और गहराई भी है. कोई देश आत्मनिर्भर तभी बनता है जब संसाधनों के साथ-साथ सोच और संस्कारों में भी वो आत्मनिर्भर बने.

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पीएम मोदी ने स्वामी विवेकानंद का एक किस्सा सुनाते हुए कहा कि विदेश में एक बार किसी ने स्वामी जी से पूछा था कि आप ऐसा पहनावा क्यों नहीं पहनते जिससे आप जेंटल मैन लगे इस पर स्वामी जी ने जो जवाब दिया वो भारत के मूल्यों की गहराई को दिखाता है. स्वामी जी ने जवाब दिया था कि आपके कल्चर में एक टेलर जेंटल मैन बनाता है लेकिन हमारे कल्चर में करेक्टर तय करता है कि कौन जेंटल मैन है.

पीएम मोदी ने आगे कहा कि देश का युवा ही दुनियाभर में ब्रांड इंडिया का ब्रांड एंबेसडर है. इसलिए आपसे अपेक्षा सिर्फ भारत की पुरातन पहचान पर गर्व करने की नहीं है बल्कि 21वीं सदी में भारत की नई पहचान गढ़ने की भी है. हमें भविष्य पर काम करना है. भारत 21वीं सदी की दुनिया में क्या सहयोग देगा इसके लिए अनुसंधान करना हमारा दायित्व है.

जेएनयू के छात्रों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जब-जब भारत का सामर्थ्य बढ़ा है, तब-तब उससे दुनिया को लाभ हुआ है. भारत की आत्मनिर्भरता में आत्मवत सर्वभूतेषु की भावना जुड़ी हुई है, पूरे संसार के कल्याण की सोच जुड़ी हुई है. आप से बेहतर ये कौन जानता है कि भारत में रिफॉर्म्स को लेकर क्या बातें होती थीं. क्या भारत में गुड रिफॉर्म्स को बैड पॉलिटिक्स नहीं माना जाता था? तो फिर गुड रिफॉर्म्स, गुड पॉलिटिक्स कैसे हो गए? इसको लेकर जेएनयू के साथी जरूर रिसर्च करें.

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किसानों की बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि बीते सालों में MSP को भी अनेक बार बढ़ाया गया और किसानों से रिकॉर्ड खरीद भी की गई है. किसानों के इर्दगिर्द जब ये सुरक्षा कवच बन गया, जब उनमें विश्वास जागा, तब जाकर एग्रो रिफॉर्म्स को हमने आगे बढ़ाया. बीते पांच, छह सालों में हमने किसानों के लिए एक सुरक्षा तंत्र विकसित किया. सिंचाई का बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर हो, मंडियों के आधुनिकीकरण पर निवेश हो, यूरिया की उपलब्धता हो, सॉइल हेल्थ कार्ड हो, फसल बीमा हो, लागत का डेढ़ गुना एमएसपी हो या पीएम किसान सम्मान निधि से सीधी मदद हो.

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