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एनजीटी ने दिए सरकारों को सुझाव दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और UP- बिहार से गायब हो जाएंगी डीजल गाड़ियां!

नई दिल्ली. राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) की एक समिति ने प्रदूषण (Pollution) को लेकर यूपी, बिहार, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और दिल्ली को महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं. एनजीटी की एक समिति ने इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सार्वजनिक परिवहन (Public Transport) से डीजल वाहन (Diesel Vehicles) को पूरी तरह से हटाने का सुझाव दिया है. एनजीटी ने इन राज्यों को सार्वजनिक परिवहन के लिए सीएनजी और इलेक्ट्रिक गाड़ियों के इस्तेमाल पर जोर देने को कहा है. एनजीटी ने इसके लिए इन राज्यों को इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशनों की संख्या बढ़ाने को भी कहा है.

बता दें कि एनजीटी ने इंडो गैंजेटिक प्लेन क्षेत्र में यह कदम उठाने का सुझाव दिया है. इंडो गैंजेटिक क्षेत्र में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और यूपी शामिल हैं. 172 मिलियन एकड़ उपजाऊ वाला यह मैदान दो प्रमुख नदियों सिंधू और गंगा के बीच पड़ता है. दिल्ली, कोलकाता, पटना और लखनऊ जैसे कई बड़े शहर इसमें शामिल हैं.

डीजल गाड़ियों को लेकर एनजीटी के सुझाव
समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि आईजीपी में इलेक्ट्रिक वाहनों का चलन बढ़ाने के लिए इन क्षेत्रों में चार्जिंग स्टेशन की सुविधा में इजाफा करना होगा. इस इलाके के शहरी क्षेत्रों में गर तीन किलोमीटर पर एक चार्जिंग स्टेशन और राजमार्गों पर 25 किलोमीटर पर चार्जिंग स्टेशन की सुविधा होनी चाहिए. हाईवे पर हर 100 किलोमीटर पर बैटरी बदलने की भी सुविधा भी होनी चाहिए.

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पारिस्थितिकी और पर्यावरण सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भी कहा है कि पारिस्थितिकी और पर्यावरण केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार कई विकल्पों पर विचार कर रही है. इस लिहाज से विभिन्न परियोजनाओं पर युद्धस्तर पर काम कर रही है. देश में कुल वायु प्रदूषण का लगभग 40 प्रतिशत सड़क यातायात के कारण होता है और इसलिए देश में सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है. सरकार सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न उपाय लागू कर रही है. उन्होंने जिक्र करते हुए बताया कि मुंबई में शुरू हुई डबल डेकर बस और बेंगलुरु में शुरू की जा रही बस सेवा इन उपायों की बानगी हैं. 260 रोपवे और केबल कारों को दी गई मंजूरी भी इसी कोशिश का हिस्सा है और दिल्ली व उसके आसपास करीब 65 हज़ार करोड़ रुपये की सड़क परियोजनाओं पर भी काम चल रहा है.

गडकरी ने आगे कहा कि केंद्र सरकार इलेक्ट्रिक हाईवे यानी ई हाईवे बनाने की कोशिश कर रही है. इलेक्ट्रिक बसें, इलेक्ट्रिक कार, इलेक्ट्रिक स्कूटर अब चालू हो चुके हैं लेकिन इसके साथ ही साथ हम फ्लेक्स इंजन वाले वाहनों का इस्तेमाल भी शुरू कर रहे हैं. इसके साथ ही हाइड्रोजन भविष्य का ईंधन है. मुंबई में ईंधन के रूप में मेथनॉल का उपयोग करके बसों और ट्रकों को चलाने में कोई समस्या नहीं है, इससे लागत में बचत होगी और प्रदूषण में कमी आएगी. केंद्र सरकार की कोशिशों से अगले पांच साल में प्रदूषण की समस्या का काफी हद तक समाधान हो जाएगा.

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