कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने भारतीय रेलवे के सामने वित्तीय चुनौतियां होने का दावा करते हुए बुधवार को कहा कि रेलवे में भर्ती को लेकर इस समय जो असमंजस के हालात हैं, ऐसे आजाद भारत के इतिहास में पहले कभी देखने को नहीं मिले। लोकसभा में कांग्रेस के नेता चौधरी ने ‘2022-23 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांग’ पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि रेलवे धीरे-धीरे बाहरी स्रोतों और ऋण पर निर्भर होती जा रही है और उसका आंतरिक राजस्व कम होता जा रहा है।
उन्होंने कहा कि रेलवे के बजटीय संसाधन भी पर्याप्त नहीं हैं और इससे रेलवे की वित्तीय हालत पर गंभीर सवाल खड़ा होता है। उन्होंने कहा कि रेलवे को लाभ कमाने के उद्देश्य से चलाना चाहिए यह बात सही है, लेकिन इसे केवल व्यावसायिक इकाई के रूप में नहीं बल्कि सामाजिक प्रतिबद्धता निभाने वाले संस्थान के रूप में भी देखा जाना चाहिए। चौधरी ने रेल मंत्री से जानना चाहा कि रेलवे किरायों में विभिन्न श्रेणियों में कोविड से पूर्व की स्थिति में मिलने वाली छूट की बहाली को लेकर क्या स्थिति है। उन्होंने महामारी के बाद रेलवे के किराये में ‘अत्यधिक वृद्धि’ होने की ओर भी इशारा किया। उन्होंने दावा किया कि रेलवे में भर्ती को लेकर इस समय जो अव्यवस्था और असमंजस की स्थिति है ऐसा ‘‘आजाद भारत के इतिहास में पहले कभी नहीं देखा गया”।
उन्होंने कहा कि इसी के कारण पिछले दिनों रेलवे में भर्ती को लेकर प्रदर्शन के दौरान अनेक अभ्यर्थी घायल हो गये। चौधरी ने सरकार से पूछा कि देश में बुलेट ट्रेन कब चलेगी, इस लिहाज से जमीन अधिग्रहण की स्थिति क्या है? उन्होंने कहा कि रेलवे में निजीकरण की ओर बढ़ने का सबसे बड़ा उदाहरण तेजस ट्रेनें हैं और निजीकरण की तरफ सरकार क्यों बढ़ रही है। उसे स्पष्ट करना चाहिए। कांग्रेस नेता ने अगले तीन वर्ष में 400 वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण की सरकार की घोषणा का जिक्र करते हुए कहा कि हर महीने औसतन 11 वंदे भारत ट्रेनें तैयार करनी होगी। उन्होंने कहा कि सरकार बताए कि ऐसा कैसे संभव होगा।