पंजाब मे राजनीतिक रोस थमने का नाम नही ले रहा जहां एक ओर सिद्धू तो दूसरी तरफ कैप्टेन अमरिंदर की सरकार, अगक कहे तो सिद्धू ने पंजाब मे मुसिबते बढा रखी हैं, अंतर्कलह को खत्म करने के लिए हाईकमान की ओर से गठित तीन सदस्यीय समिति के सदस्यों से मिलेंगे।
गुरुवार दोपहर वे दिल्ली पहुंचे।वे गुरुवार शाम या शुक्रवार सुबह समिति से मिलकर अपनी बात रखेंगे। समिति में शामिल हरीश रावत ने यह जानकारी दी। कैप्टन की बात सुनने के बाद समिति कांग्रेस अध्यक्ष को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। गुरुवार को पंजाब कांग्रेस की कलह को दूर करने के मकसद से बनाई गई समिति से मुलाकात के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने कहा कि प्रदेश में पार्टी के भीतर कोई झगड़ा नहीं है। 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों एवं रणनीति को लेकर विचार-विमर्श चल रहा है। जहां तक समिति के साथ बातचीत का सवाल है तो वह गोपनीय है। जो भी उन्होंने पूछा, उसका जवाब दे दिया है।
तिवारी ने कहा कि ये पार्टी की प्रथा है कि जिस राज्य में चुनाव होने वाले हैं, वहां क्या रणनीति होनी चाहिए, क्या मुद्दे होने चाहिए, जनता के समक्ष क्या बातें रखनी चहिए, उन पर विचार होता है। ये पहली बार नहीं हो रहा है। इससे पहले मंगलवार को भी विधायकों, सांसदों समेत करीब 25 नेताओं ने समिति से मुलाकात कर शिकायत दर्ज करवाई थी। इनमें पूर्व मंत्री नवजोत सिद्धू भी शामिल थे। उच्च स्तरीय समिति की ओर से नेताओं को बयानबाजी से परहेज की दी हिदायत का नवजोत सिंह सिद्धू पर कोई फर्क नहीं पड़ा। समिति के सामने अपनी बात रखने के बाद बाहर आए सिद्धू के वही तेवर दिखे जो लंबे समय से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ रहे हैं। सिद्धू ने कहा, मेरा जो स्टैंड था वही रहेगा। उनका कहना है कि योद्धा वही है जो रण के अंदर जूझे। सत्य प्रताड़ित हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं।
कैप्टन के समर्थक विधायक भी पहुंचे
कैप्टन के समर्थन में भी विधायकों का गुट सक्रिय है जिसने सिद्धू के बड़बोलेपन, अनुशासनहीनता और वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा की शिकायत की है। बेअंत सिंह के परिवार से विधायक गुरकीरत सिंह कोटली ने कहा, सिद्धू को इतनी जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। पार्टी में नेताओं के बीच कोई टेंशन नहीं है। सबके अलग विचार हो सकते हैं अपनी बात कहने का लोकतांत्रिक अधिकार है। मीडिया में अलग अलग बातें पार्टी को कमजोर करती हैं।
कैप्टन के खिलाफ केवल 20 नेता, बाकी सब साथ
पार्टी सूत्रों से पता चला है कि सोमवार और मंगलवार को समिति से मुलाकात करने वाले नेताओं ने शिकायतों का पिटारा खोल दिया है, लेकिन किसी ने भी पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन की बात नहीं कही है। समिति अब तक यह मान रही है कि कैप्टन की कार्यप्रणाली के खिलाफ पंजाब में केवल 20 नेता ही हैं, बाकी सभी कैप्टन के साथ हैं।
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